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सच्चा ईश्वर कौन है?

सच्चा ईश्वर कौन है?

भगवान

सच्चा ईश्वर कौन है?

भगवान ने आज पूछा मुझसे; माँगने ही आते हो, कभी मिलने भी आया करो! क्या रिश्ता है इंसान का ईश्वर से? क्या सब ईश्वर एक है? सच्चा ईश्वर कौन और कहा है उसका नाम और पता क्या है? ये रिश्ता प्यार का है या डर का; पूजा पाठ का है या दिल का; भक्त-भगवान का है या पिता-पुत्र का है? आइए जाने भगवान की सच्चाई!

क्या सब ईश्वर एक है?

यदि आप अपने सवालों का उत्तर नहीं ढूंढ पाए तो निराश ना हों। 

यदि आप परेशानियों से घिरे हैं और नहीं जानते कि किस ईश्वर से प्रार्थना की जाए सच्चा ईश्वर कौन है तो निराश ना हो। 

आपने यह बातें तो बहुतों के मुंह से तो ही सुनी होगी कि सभी धर्म एक ही हैं; सभी भगवान एक ही है; किसी भी धर्म के भगवान को मान लो सब एक ही है। यदि यह विचारधारा सही है तो फिर हर एक इंसान की परेशानियां खत्म हो जानी चाहिए क्योंकि सभी किसी ना किसी भगवान में आस्था रखते हैं। पूजा-पाठ, भक्ति साधना, कीर्तन जागरण; इस देश में हर एक व्यक्ति किसी ना किसी ईश्वर की साधना तो करता ही है। और इस देश में तो  333 करोड़ देवी देवता हैं और हमारे देश के लोग इनमें से किसी ना किसी पर आस्था तो रखते ही हैं और कुछ तो डर के कारण भगवान की पूजा पाठ करते हैं कि कहीं इनका प्रकोप उन पर भड़ न उठे।

इंसान और ईश्वर का रिश्ता 

क्या इंसान और भगवान का रिश्ता बस लेने देने तक का ही है कि हम उसकी भक्ति साधना करेंगे और वह हमारी रक्षा करेगा? हमें आशीर्वाद देगा? बिगड़े काम बनाएगा?

क्या यह सच्चाई सच्चे ईश्वर की है या यह विचारधारणा हमारे समाज की है? जिसने सच्चे ईश्वर की परिभाषा अपने लिए पहले से बना कर रखी है। जरा सोचिए इस बात को।

यदि सच्चा ईश्वर भला है और हमसे प्यार करते हैं तो कैसे वह हम पर क्रोध कर सकते हैं? यदि ईश्वर हम से प्रेम करते हैं तो वह कैसे हमें दंड दे सकते हैं? क्या उनका मनुष्य के ऊपर क्रोध  करना और दंड देना उन्हें सच्चा ईश्वर बनाता है?

या फिर उस सच्चे ईश्वर से अभी तक हमारा आमना-सामना हुआ ही नहीं क्योंकि हमने सच्चे ईश्वर को कभी सुनने की कोशिश ही नहीं की।

ईश्वर का सत्य क्या है? 

सत्य यह है कि एक ही सच्चा ईश्वर है जिसने आकाश और पृथ्वी को बनाया और केवल मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। जी हां! ईश्वर हम से प्रेम करते हैं और केवल मनुष्य को ही उसने अपने स्वरूप में रचा है।

इसलिए हमारा स्वभाव जानवरों, पक्षियों, पेड़ पौधों जैसा नहीं है क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में रचे गए हैं।

 ईश्वर भला है और करुणामय है और जितने उसको खोजते हैं वह उसे पाते हैं। जी हाँ! वह आपसे प्रेम करता है और लेने देने से कहीं अधिक आपके साथ एक रिश्ता चाहता है। 

आप सोच रहे होंगे कि यदि ईश्वर हम से प्रेम करता है और मनुष्य के साथ रिश्ता चाहता है तो हमारे जीवन में दुख, तकलीफ़, परेशानियां हादसे क्यों होते हैं? अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है? पर सच तो यह है कि इन सब बुराइयों के पीछे ईश्वर नहीं बल्कि शैतान है, पाप है जो किसी का भी भला नहीं चाहता जो आपकी आशीष को चुराता है, घात करता है, हत्या करता है। आप सोच रहे होंगे कि यदि यह सब आप के विरोध में कार्य कर रहे हैं तो फिर इतने सारे ईश्वरों में से किस ईश्वर की मदद मांगी जाए, किस ईश्वर से प्रार्थना की जाए जो आपको बचा सकता है, आपकी रक्षा कर सकता है, आपके बिगड़े काम बना सकता है आपकी समस्या का हल कर सकता है? 

वह ईश्वर यीशु मसीह है क्योंकि केवल यही वह नाम है जो उद्धार के लिए दिया गया है।

  1. किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्य में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकते हैं ऐसा लिखा है बाइबल की  प्रेरितो के काम 4:12 में
  2. यशायाह के 53:5 में ऐसा लिखा है कि “परंतु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया, हमारी शांति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाए।”
  3. यीशु ही वह सच्चा ईश्वर है जिसने क्रूस पर मर कर
  4. अपना लहू बहाकर 
  5. तीसरे दिन मुर्दो मे से जीवित होकर 
  6.  आपको पाप, मृत्यु और शैतान के माया जाल से मूल्य चुका कर छोड़ा लिया है। भला आप खुद सोचिए ऐसा कौन सा ईश्वर है जिसने आप को परेशानियों से छुड़ाने के लिए, आपके दुख तकलीफ़ को खत्म करने के लिए, आपके पापों के लिए अपनी जान देकर कीमत चुकाई हो। आपकी कीमत चुकाने वाला तो कोई नहीं पर आपसे कीमत लेने वाले बहुत से आए होंगे। केवल यीशु मसीह ही हैं जिसने क्रूस पर मर कर अपने प्रेम को हमारे लिए प्रकट किया। यीशु को आप एक बार परख के देखे की वह कितना भला है आप खुद जानेंगे सत्य को और सत्य आपको आज़ाद करेगा। 

यदि आप सच्चे ईश्वर के बारे में और जानना चाहते हैं तो आप बेझिझक हमें संपर्क करे हम आपकी सहायता करने को तत्पर हैं। आओ चले इस नयी मंज़िल पे।

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