भगवान

इस करोना वायरस के बीच परमेश्वर कहाँ है?

एक अनदेखा विषाणु, कोरोना वायरस ना थाली बजा कर गया और ना दिया जलाकर।

हम सब बस देखते ही रह गए और लाशों का ढेर लग गया। किसी ने बेटा खोया, पिता खोया, नव विवाहित पत्नी और किसी नवजात बच्चे ने अपनी माँ खोयी।

समुंदर की लहरे खुबसूरत लगती हैं लेकिन कोरोना वायरस की नहीं। इंसान हार गया, दवाई नहीं मिली, खाना नहीं मिला, वैक्सीन नहीं है और ऑक्सीजन की बोली लग रही है। इंसान कितना बेबस हो गया है… इन सब में “भगवान” कहाँ है? क्या वह आपकी प्रार्थना सुन रहा हैं?

एक गीत याद आता हैं:

चाहे अंजीर के पेड़ फले ना फले

चाहे मेरे बाग़ में फूल खिले ना खिले

तौभी मै तो अपने प्रभु में आनंदित और मगन रहूँगा!!

ये कौन सी उम्मीद है करोना वाइरस के समय में?

… आखिर ऐसी कौनसी उम्मीद है इस गीतकार के पास जो वह मुसीबत में भी आनंदित है। पता चला इसके बोल पवित्र शास्त्र बाइबिल से प्रेरित हैं। यीशु मसीह का नाम सबने सुना है। वह चमत्कार करनेवाला भगवान कहलाया जाता है। भूखों को खाना खिलाना, अंधो को आंखे देना, कोढ़ी को चंगा करना और अन्य कई भले कामों का वर्णन बाइबिल में है। एक शादी में पानी को अंगूर के रस में बदल दिया था यीशु मसीह ने। यदि आज वह मेरे सामने होते तो पानी से ऑक्सीजन बना देने का आग्रह करती जिससे बहुत सारे कोरोना वायरस से पीढित लोगों की जान बच जाती।

यदि ये संभव भी होता तो क्या ऐसा करने से दुनिया का सारा दुःख दर्द मिट जाता? क्या हम अपने जीवन में आनंदित हैं? क्या सारे सुख के साधन इंसान को सच में ख़ुशी दे सकते हैं?

क्यों हमें आनंद और ख़ुशी नहीं मिलती?

हमारे शरीर के लिए तो हम सब कुछ कर पाते हैं लेकिन सच्ची ख़ुशी तब होती है जब हमारी आत्मा में शांति और आनंद हो। इस आनंद को पाप ने छीन लिया है। आत्मा की ख़ुशी के लिए आत्मा का बचना जरुरी है। पाप के स्वाभाव से मुक्ति पाना जरुरी है। कोरोना तो शरीर को मारता हैं; पाप आत्मा को मारता है और हमे परमेश्वर से दूर करता है।

यीशु मसीह का उद्देश्य इस दुनिया में आने का यही था कि वह हम सब को पाप की मृत्यु से बचाए। चमत्कार के द्वारा उसने अपने सामर्थ को प्रकट किया पर क्रूस पर लटक कर उसने हमारे लिए प्रेम को प्रकट किया।

यीशु ने कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।

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Nirvi

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