भगवान

यीशु कौन है और वो हमारे लिए क्यों मरे?

यीशु कौन है, वो कहाँ से आये और क्यों उन्होंने अपनी जान क्रूस पे दे दी?

आप उनको ईसा मसीह, यीशु मसीह या जीसस के नाम से भी जानते होंगे।
क्या आपने भी कभी इन सवालों का सामना किया है? क्या कभी आपने सोचा है की  का यीशु आप से क्या लेना देना है? कुछ लोग कहते है की उनके लिए वो परमेश्वर हैं, एक दोस्त है, टीचर है, उद्धारकर्ता हैं।

आइए हम उसे एक कहानी के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं

इस पूरी बात को समझने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँएक बार एक बहुत ही बड़ा, शक्तिशाली और बुद्धिमान राजा थावो धर्म और न्याय के साथ राज्य करता था वो किसी भी गुनहगार को बिना न्याय के ऐसे ही नहीं जाने देता था फिर चाहे वो कोई उसका अपना ही क्यों होउस राजा का एक दूसरा पहलू भी थावो बहुत ही दयालु, धीरज रखने वाला और बहुत ही प्यार करने वाला राजा थाऐसा प्यार जैसा की कोई भी कर सके

उस राजा के बच्चे भी थे जिन्हे वो बेहद प्यार करता थाउसके राज्य में राजा का एक दुश्मन भी रहता था वो बराबर कोशिश करता रहता था कि कैसा कैसे वो राजा को हरा देजब वो अपनी सारी कोशिशें कर के हार गया तो उसने राजा के बेटे को निशाना बनायाएक दिन उसने राजा के बेटे को अकेला पा कर उसे राजा के विरोध में भड़का दिया और एक ऐसा काम करने के लिए उसे उकसाया जिसे करने के लिए राजा ने बिल्कुल मना किया थादुर्भाग्य से वो इसे करने में सफल हो गया और राजा का बेटा पूरे राज्य के सामने एक गुनहगार बन गया और उसकी सजा सिर्फ और सिर्फ मौत थी

जब उस बेटे को राजा के सामने लाया गया तो राजा का वो दुश्मन भी वहां मौजूद था और वो सारे दरबार में ज़ोर ज़ोर से कहने लगा  “आज राजा अपना न्याय दिखायेगा आज वो इस अपराधी को सही सही सज़ा सुनाएगा और हमारे बीच में नया करेगाये देख और सुन कर सारा दरबार हैरान रह गयालोग ये सोचने लगे की क्या अब राजा अपने प्रिय बेटे को मौत की सज़ा सुनाएगा? राजा ने उन सब के मनों में उठ रहे उन सवालों को जान कर कहामेरे दरबार में न्याय ज़रूर होगा और इस अपराध की सज़ा ज़रूर मिलेगीफिर राजा ने एक योजना बनाई और उनसे कहाये सच है की मेरे बेटे ने एक बहुत ही बड़ा गुनाह किया है जिसकी सजा मृत्यु है और वो सजा ज़रूर मिलेगीतब वो अपने सिंघासन पर से उठ कर नीचे आया और अपने बेटे का स्थान ले लिए और कहाजो भी सज़ा मेरे बेटे को मिलनी चाहिए उसे उसके स्थान पर मैं ले लेता हूँमुझे उसकी सज़ा दे दो और उसके बदले मेरी आज़ादी उसे दे दो

उस दिन उस दरबार में दो चीज़ों की जीत हुईपहली प्रेम की, क्योंकि ये प्रेम ही था जिसने गुनहगार बेटे को बचा लियाऔर दूसरा न्याय क्योंकि न्याय के अनुसार गुनाह की सज़ा मिलनी चाहिए थी जो राजा ने अपने ऊपर ले लीपर कहानी यहीं ख़त्म नहीं होतीक्योंकि उस राजा के जैसा दयालु, प्रेमी, सच्चा और शक्तिशाली और कोई नहीं था, इसलिए मृत्यु भी उस से हार गईतीसरे दिन वो राजा मृत्यु को हरा कर मुर्दों में से ज़िंदा हो गयाऔर उस दिन उसने अपने उस शत्रु को हरा दिया

हम क्या सीख ले इससे?

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Nirvi

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