Blog: आइए जाने कि क्या भगवान सच में हमसे प्यार करता है?

क्या भगवान मुझे मेरे दर्द से आज़ाद कर सकता है?

अप्रैल 1997 में, मै अपने आप को गोली मार देना चाहता था। ज़िन्दगी जीने लायक नहीं रही थी। बचपन में स्कूल के दोस्तों ने मुझे सिगरेट के धुए में झोक दिया। हाई स्कूल में आते आते मैं शराब और नशे का आदि बन गया। एक दिन किसी ने मुझे किसी ऐसे नशे के पाउडर की लत लगा दी, कि मैं उसमे बहुत बुरी तरह फस गया। अपनी लत पूरी करने के लिए मैंने अपनी माँ का सोना भी बेच दिया। कुछ दिनों बाद नौकरी भी चली गयी। मेरे पास कुछ नहीं था, ना कोई साथी और ना दोस्त। मेरे नशे की आदत ने मुझे सबसे अलग कर दिया था।

मैं बिलकुल अकेला था और मुझे यकीन हो गया कि मुझसे कोई भी प्यार नहीं करता। मैंने नशे से छुटकारा पाने के लिए बहुत उपाय किये। कई धर्मो में खोज की और तिर्थ स्थानों में भी गया। धार्मिक किताबे पढ़ी लेकिन किसी में भी मेरे सवालो का जवाब नहीं मिला। १३ साल मैं सच्चे परमेश्वर की खोज में रहा जो मुझे प्यार करता हो, जो मेरा सृष्टिकर्ता हो।

 भगवान ने मेरी ज़िंदगी का पन्ना लिख दिया

मेरी ज़िन्दगी का नया पन्ना परमेश्वर लिखने वाला था, जब मेरे भाई का फ़ोन मुंबई से आया। उसने मुझे बाइबिल के परमेश्वर ‘प्रभु यीशु मसीह’ के बारे में बताया और बाइबिल पढने की सलाह दी।

 मैं ज़िन्दगी को एक आखरी मौका देना चाहता था, और मैंने सचे दिल से परमेश्वर को खोजना शुरू किया। उस रात मैं अपने आप को गोली मार देना चाहता था लेकिन परमेश्वर ने स्वयं मुझे दर्शन दिए और मेरी बेकार ज़िन्दगी को बदल दिया। उस रात मैंने इस परमेश्वर से अपने सारे गलत कामों के लिए क्षमा मांगी और नशे से मुक्ति पाने की प्रर्थन भी की। मेरे ह्रदय में एक अधबुत शांति आयी और मैं चैन से सो गया। अगले दिन से ही मेरे जीवन में धीरे धीरे परिवर्तन आना शुरू हो गया। मेरे नशे की लत मुझपर हावी नहीं हो रही थी। मैंने सच्चे परमेश्वर को पा लिया था जो मुजसे प्यार करता है।

क्या आप जानते हैं की ‘जो आप सोचते हैं आप वही बन जाते हैं।’ तो फिर अपनी सोच को नयी दिशा कैसे दें? क्या कभी आपने सोचा है की हमारे विचार हमें दिशा देते हैं। जानिए अपनी सोच की क्षमता और महत्व।

बाइबिल पढ़कर मुझे पता चला कि यीशु मसीह ने मेरे गलत कामों के लिए क्रूस पर सज़ा उठाई और जो कोई उसपर विश्वास करता है वह अनंत जीवन पायेगा। परखकर देखो कि परमेश्वर कैसा भला है! यदि परमेश्वर मुझ जैसे इंसान से प्रेम कर सकता है तो वह निश्चिन्त आपको भी स्वीकार करेगा।

मैं गुनाह से लदा था, पापी था गुमराह लाचार

ज़ख़्मी घयाल था आवारा परेशान

सुनी एक धीमी आवाज़, जो बुलाती थी मुझको,

आया सलीब पास पा आराम ऐ गुनाहगार!

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Nirvi

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