जीवन

क्या आप बुरी आदतों के शिकार हैं? जानिए बुरी आदतों से निपटने का हल और उपाय।

क्या आप भी शिकार हैं इस बुरी आदत के?

एक कार जब शराबी के बहुत नज़दीक से गुजरी तो कार चलाने वाले ने उस शराबी पर गुस्सा होते हुए कहा, “मर जाएगा पियक्कड़।” इस पर उस शराबी ने जवाब दिया, “जीना कौन चाहता है!”

न जाने कितनी जिंदगी और परिवार झुलस जाते हैं शराब, सिगरेट या नशीली ड्रग्स की लत से। किसी भी प्रकार के पदार्थ का अगर दुरुपयोग हो तो वह लत या बुरी आदत बन जाती है। नशा-खोरी ने खासकर युवाओं को अपना शिकार बनाया है। युवा शक्ति; युवा यह युवा वह! भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में, लेकिन उनके हाथों में दुर्भाग्यवश नशीले पदार्थ हैं। किसी को इनकी चिंता हो या ना हो हमें है, और आपको भी होनी चाहिए।


हम एडिक्शन के शिकार आखिर क्यों हो जाते हैं?

इंसान का दिल ऐसा है कि वह किसी ना किसी चीज की कमी को पूरा करने के लिए कोई और चीज़ का सहारा ले लेता है; फिर चाहे अकेलापन हो, प्यार में धोखा, घर में लड़ाई या सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं। दोष क्या सिर्फ उसका है, जो इस में फसा हैशायद नहीं। ऊपरी तौर पर यह कह देना कि यह तो शराबी या नशाखोर है, उसकी समस्या को हल नहीं करता पर शायद ज़ख़्म और भी गहरा कर देता है।

नशाखोरी के कुछ दुष्परिणाम:

नशाखोरी के कुछ दुष्परिणाम से आप वाक़िफ़ होंगे। मधुमेह, मोटापे, ह्रदय रोग, लीवर और किडनी के रोग, यहां तक कि शराब के सेवन को कैंसर तक का कारण माना गया है, लेकिन फिर भी इन चीजों का डर नहीं रहा। वह इसलिए कि जीवन का मूल्य शायद कम ही लगने लगा है। जीवन में कोई तो उद्देश्य ऐसा हो कि जीने की इच्छा हो और जीतने की जिद हो। अगर आप सच में अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करना चाहते हैं तो यह केवल आप ही कर सकते हैं। या तो आप समस्या का सामना करें और हल ढूंढे या फिर चोट को घाव बनने दें। उतार चढ़ाव तो आते रहेंगे यही जिंदगी है। पर किसी लत की मार से खूबसूरत जीवन का साथ छोड़ना, यह क्या कोई समझदारी है?

बुरी आदतों से कैसे निपट सकते हैं आप:

  • कोई भी आदत एकदम से नहीं छूटती जब तक कि एक बड़ा मकसद ना जुड़ जाए उससे।
  • अकेले इस समस्या से लड़ने के बजाय करीबी दोस्त या परिवार का सहयोग ले। कई नशा मुक्ति केंद्र भी इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
  • जिंदगी में छोटी इच्छाओं को मारने के लिए बड़ी इच्छा को जगह देनी पड़ती है।
  • अपने जीवन में एक बड़े उद्देश्य को सामने रखें तो खुद-ब-खुद हौसले बुलंद होते चले जाएंगे। निर्णय केवल शारीरिक नहीं, मानसिक और आत्मिक भी होना चाहिए।
  • आपकी सोच में परिवर्तन आने से ही समस्या का असली हल होगा, नहीं तो फिर से लौटना आसान हो जाएगा।
  • आप हमसे भी सम्पर्क कर सकते हैं और अपनी समस्या बाँट सकते है, निश्चिंत होकर की आपकी समस्या शांति से जाएगी और उससे बाहर निकलने की मदद भी मिलेगी।

सोच को कैसे बदले; दिल को कैसे बदले:

बहुत से लोग कहते हैं, कि थोड़ा सा चल जाता है, पर अगर बाइबिल की दृष्टि से देखें तो ऐसा लिखा है कि, “सब वस्तुएं मेरे लिए उचित है, पर सब वस्तुएं लाभ कि नहीं, मैं किसी बात के अधीन ना आऊंगा।” जी हाँ दोस्तों, क्या सच में नशा करने में कोई लाभ नजर आता है जो जिंदगी को बेहतर बना सके। जो वस्तु लोगों के ही नजरों में बुरी हो उसे परमेश्वर भी कैसे पसंद कर सकता है। यह जानना जरूरी है कि बिगाड़ दिल में है, जन्म से। बुरी चीजों को करने से हम बुरे नहीं बनते। हम पाप इसलिए करते हैं कि हम पापी हैं और पाप के स्वभाव के साथ ही पैदा होते हैं।

आज यीशु आपको एक नए जीवन, एक नयी मंज़िल की शुरुआत करने का निमंत्रण दे रहे हैं।

अभी देर नहीं हुई है, जैसे भी है, जिस हाल में है, चाहे समाज ने भी आप को ठुकरा दिया हो पर यीशु मसीह आपको अपनाना चाहते हैं। चलिए हमारे साथ इस नयी मंज़िल पे।

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Nirvi

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