ऐसी ही कहानी मेरे जीवन की भी रही है। जब मैं दसवीं कक्षा में आया तो मुझे अपना स्कूल बदलना पड़ा और दुर्भाग्य से ये नए दोस्त हर तरह की बुरी आदतों में थे फिर चाहे वो नशाखोरी हो, मारपीट करना हो या फिर किसी और जुर्म को अंजाम देना हो। अब क्योंकि वो मेरे दोस्त थे इसलिए मैं भी उनके इन कामों में शामिल होने लगा। बात यहाँ तक आ गई की मैं हर वो गलत काम करने लगा जो मेरे ये दोस्त करते थे।
एक दिन हमारी एक बड़ी लड़ाई एक दूसरे गैंग के साथ हो गई और उस लड़ाई में मेरे सारे दोस्तों ने मुझे अकेला छोड़ दिया। मैं उनके लिए जान भी देने को तैयार था पर उस दिन वो मेरे लिए आगे नहीं आये। उस दिन मेरा दोस्ती पर से भरोसा ही उठ गया। और फिर मेरी ज़िन्दगी उस एकांत कारावास की तरह हो गई जिसमे मैंने अपने आप को सब से अगल कर के बंद कर लिया। मेरी कोई ज़िन्दगी नहीं थी और न ही मुझे कोई आशा थी।
मेरी तरह और लोग जिन्होंने दोस्ती में धोखा खाया है या फिर वो दोस्त बनाना ही नहीं चाहते। इसका एक कारण ये भी है की उन्होंने कभी एक सच्चे दोस्त या दोस्ती का अनुभव ही नहीं किया।
सच्चा दोस्त
उस समय जब ये सब कुछ मेरे जीवन में चल रहा था तो मैं एक ऐसे दोस्त से मिला जिसने मुझे दोस्ती का सही मतलब बताया। वो मेरा हमराज़ बन गया, मेरा हमसाया बन गया। वो मेरे साथ साथ रहा और उसने मुझ से ये वादा किया की वो मुझे कभी भी नहीं छोड़ेगा न कभी त्यागेगा। आज 16 साल हो गए हैं हमारी इस दोस्ती को जिसमे उसने मुझे कभी भी अकेला नहीं छोड़ा। मैं कभी भी उसके पास जा सकता हूँ और अपने दिल का हाल सुना सकता हूँ। एक ऐसा दोस्त जिसने इस दोस्ती के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी। उसका नाम यीशु मसीह है।
मुझे यकीन है की आप भी इस सच्चे दोस्त यीशु मसीह और उसकी दोस्ती के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे। प्लीज् हम से ज़रूर संपर्क करें। हमें इस विषय में आप से बात कर के बहुत ख़ुशी होगी। आपका इंतज़ार रहेगा। चलिए हमारे साथ इस नयी मंज़िल पे।