चिंता और अवसाद: क्या अंतर है?

क्या चिंता और अवसाद एक है?

चिंता, स्ट्रेस, टेंशन, अवसाद या डिप्रेशन – यह शब्द हम हर दिन सुनते हैं। इनका मतलब और इनमें फर्क क्या है? 2 दोस्तों के बीच की बात से समझते हैं चिंता और डिप्रेशन में फर्क…

कार्तिक: क्या हुआ, कुछ टेंशन में हो?

जतिन: हाँ, आज सुबह ऑफिस आते टाईम चालान कट गया, 500 रुपये ख़राब हो गए।

कार्तिक: बस 500 रूपये की वजह से ऐसे उदास हो, मेरी कहानी सुनो – 5 लाख का एजुकेशन लोन है, घर की मरम्मत भी करानी है, पापा की हॉस्पिटल फी, इतने खर्च और समस्याएं और कमाने वाला मैं अकेला… इतनी मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत नहीं बची। लाइफ में कुछ भी ठीक नहीं है।

चिंता और डिप्रेशन में अंतर

कार्तिक और जतिन की कहानी से समझ पाते हैं की:

–    चिंता किसी वर्तमान परिस्थिति से होती है जबकि डिप्रेशन का कोई एक कारण नहीं। यह पुराने और नयी परेशानियों का एक मिलाजुला परिणाम है।

–    चिंता का समाधान जल्दी हो जाता है पर डिप्रेशन प्रोलोंगड या लम्बे समय तक इन्सान के मन/शरीर को तकलीफ देता है।

–    चिंता को सोशली एक्सेप्ट किया जाता है पर डिप्रेस्ड या अवसाद इन्सान को लोग पागलपन समझ के मज़ाक़ बनाते हैं।

–    चिंता कई बार पॉजिटिव भी होती है। जैसे चालान काटने से 500 रूपये का नुकसान चिंता का विषय है पर पॉजिटिव यह है की अगली बार ड्राइविंग करते हुए जतिन सावधानी बरतेगा और नियम का पालन करेगा। डिप्रेशन सिर्फ नेगेटीविटी लाता है।

–    चिंता अगर आदत बन जाये तो ब्लड प्रेशर/ दिल की बीमारी जैसी प्रॉब्लम होती है पर डिप्रेशन में लोग अपनी जान लेने का भी सोच लेते हैं।

डिप्रेशन के लक्षण और साइड इफ़ेक्ट्स

–    अधिकांश समय उदास रहना, अचानक रो पड़ना और यह समझ नहीं आता की रोने का कारण क्या है

–    भूख ज्यादा या बिलकुल कम लगना

–    नींद ज्यादा या कम हो जाना। ज्यादा घंटे सोने के बाद भी पूरे दिन थकान/फटीग फील करना

–    चिड़चिड़ापन, गुस्सा बढ़ना

–    कंसन्ट्रेट ना कर पाना, बातें भूल जाना

–    ज्यादातर समय अकेले बिताना, अँधेरे में रहना, बाहर न जाने की इच्छा

–    जीने की इच्छा ख़त्म हो जाना

इन लक्षणों की वजह से डिप्रेस्ड व्यक्ति को सर दर्द, शरीर दर्द, कॉनस्तिपेशन, कमजोरी, विटामिन्स की कमी, आर्थराइटिस, नींद की कमी, हार्ट डिजीज, कमजोर याददाशत या डेमेनशिया जैसे रोगों का सामना करना पड़ सकता है।

जहाँ समस्या है वहाँ उपाय है, जहाँ बुरी खबर है वहाँ शुभ सन्देश भी है। क्या है यह शुभ सन्देश?

बाइबिल में लिखा है कि “परमेश्वर आगे चलेगा। वह स्वयं तुम्हारे साथ है। वह तुम्हें न सहायता देना बन्द करेगा, न ही तुम्हें छोड़ेगा। तुम न ही भयभीत न ही चिंतित हो!”

इसका मतलब है कि कोई दिक्कत, परेशानी कितनी भी बड़ी हो, हमें बनाने वाला ईश्वर मुश्किल में हमारी मदद के लिए साथ है, हम अकेले नहीं। इसलिए किसी भी परिस्थिति में डरने या घबराने की जरुरत नहीं। ईश्वर हमें हर मुश्किल से बाहर निकलेगा। जरुरत है तो हिम्मत और इस विश्वास की, “यीशु मसीह मेरे साथ हैं और इस डिप्रेशन की लड़ाई वो मेरे साथ लड़ रहे हैं”

अगर आप डिप्रेशन या ऊपर लिखे लक्षणों से ग्रसित हैं तो डरिए मत क्योंकि आप अकेले नहीं हैं। अपने किसी दोस्त से बात कर अपनी परिस्थिति समझाइए। और अगर आप अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार को जानते हो जो डिप्रेशन में है तो उसके पास जाइए और बताइए की

–    वो अकेला नहीं।

–    उसकी परेशानी को सुनिए। सलूशन ऑफर मत कीजिये बस सुनिए। आपका यह जेशचर उस दोस्त की आधी परेशानी हल करेगा

–    जब आप उसका भरोसा जीत ले तो बाइबिल में लिखे वचनों को पढ़ कर उसे उसको मोटीवेट करिए। जरुरत पड़े तो डॉक्टर से मिलिए।

याद रखिये कि आप अकेले नहीं, यीशु आपके साथ हैं, हम सब आपके साथ हैं। इस विषय में और जानने के लिए हमसे बात करें। आओ चले नयी मंजिल पे।

Share
Published by
Nirvi

Recent Posts

आदतें अगर लत और मजबूरी बन जाए तो क्या करें?

क्या मेरी आदतें लत तो नहीं बन रही हैं? लगभग हर दिन मैं एक दोस्त…

1 month ago

मुझे हर वक्त थकावट रहती है 

क्या आप बिना कुछ काम किए भी हर समय थका हुआ महसूस करते हो? कई…

1 year ago

मनोकामना पूरी होने के संकेत

आपने अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए क्या क्या किया है? हम अपनी मनोकामना…

1 year ago

आप प्यार और पैसे में से क्या चुनोगे?

प्यार के बिना ज़िंदगी का कोई मतलब नहीं है पर यह भी सच है कि…

1 year ago

क्या कर्म करने से मेरी क़िस्मत बदल सकती है?

“क़िस्मत का लिखा कोई नहीं मिटा सकता।” “ये तो नसीबों की बात है।” क्या हमारी…

2 years ago

अपने भविष्य की अच्छी योजना कैसे बनाएँ?

ये बात सच है कि "कल किसने देखा है" पर भविष्य की तैयारी और योजना…

2 years ago