जीवन

जो झूठ किसी का जीवन बचा ले वो झूठ झूठ नहीं होता

जो झूठ किसी का जीवन बचा ले वो झूठ झूठ नहीं होता – क्या ये सच में सही है?

मैं जब छोटा था तो स्कूल में मेरा एक दोस्त था जो मेरा पड़ोसी भी था। वो शरारती भी काफ़ी था और उसका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। उसके पापा बहुत अच्छे थे पर उन्हें ग़लत बात पर ग़ुस्सा बहुत तेज आता था। उसकी हर रोज़ स्कूल से शिकायतें आती थी जो उसकी बहन हमेशा छुपा लिया करती थी। और मेरे दोस्त को उसके पापा के ग़ुस्से से बचाने के लिए उसकी ममी और बहन झूठ बोल कर या उसकी ग़लतियाँ छुपा कर उसे बचा लेते थे। मेरे दोस्त की ममी और बहन को उसे बचा कर ऐसा लगता था कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है और वो उससे बहुत प्यार करती हैं। देखते ही देखते मेरे दोस्त को ऐसा लगने लगा कि वो झूठ बोलकर लाइफ़ में कुछ भी हासिल कर सकता है। 

कॉलेज में पापा से सिगरेट पीने के लिए, दोस्तों के साथ घूमने फिरने के लिए, लड़कियों को इम्प्रेस करने के लिए झूठ बोलकर पैसे लेना, जब शादी हुई तो बीवी से झूठ और धीरे धीरे उसके छोटे छोटे झूठ कब बड़े हो गए उसे खुद भी नहीं पता चला और उसकी ग़लतियों का भयानक और डरा देनेवाला भुगतान उसके परिवार को करना पड़ा। 

आपके हिसाब से इस कहानी में क्या ग़लत हुआ? 

  • क्या झूठ की भी कोई परिभाषा होती है? झूठ वो होता है जिसमें कोई सच्चाई नहीं होती। तो ऐसी कोई भी बात जिसमें कोई सच्चाई ना हो वो भली कैसे हो सकती है?
  • अगर बचपन से ही उसकी ग़लतियों और छोटे छोटे झूठ पर पर्दा नहीं डाला होता तो इस कहानी का ये परिणाम नहीं होता। 
  • झूठ छुपाने से हम सामने वाले की गलती में सहभागी हो जाते हैं और ग़लत कामों और झूठ की नीव को उस इंसान के जीवन में और मज़बूत कर देते हैं। 
  • बाइबिल बताती है कि हर पाप की सजा मृत्यु है और कोई भी ग़लत काम या झूठ कोई भलाई उत्पन्न नहीं कर सकता। 
  • थोड़ी सी सजा या अपनी गलती के भगतान से हमें जीवन में सीख मिलती है और हम उस गलती को दोहराते नहीं हैं। 
  • बाइबिल में यीशु मसीह ने मूर्ख और समझदार इंसान का बहुत अच्छा उदाहरण दिया है। मूर्ख इंसान ने अपना घर रेत पर बनाया जो तूफ़ान आने पर बह गया और समझदार इंसान ने चट्टान पर बनाया जिसे कोई भी तूफ़ान गिरा नहीं पाया। वैसे ही हमारे सिद्धांत हैं जो हमारे जीवन की नीव है- अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप क्या चुनोगे??

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Nirvi

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