जीवन

दुनिया में बुराई क्यों है? दुनिया में अच्छाई के बदले बुराई क्यों मिलती है?

दुनिया में बुराई क्यों है?

हम क्या समझें उन चीज़ों से जो हम दुनिया में देखते हैं? आतंकवादी हमले, रेप, नक्सलवाद, ड्रग्स, गरीबी, भ्रष्टाचार या फिर बाढ़, भूकंप और कितनी सारी मुसीबतें! आज कल न्यूज़ चैनल, अख़बारों और हर तरफ हम बुरी ख़बरों के बारे में सुनते हैं। जो आज कल की हकीक़त है। हम शायद अपने आप से दिल ही दिल में इन जैसे सवाल अक्सर पूछते हैं। लेकिन हकीक़त में हम अपने जीवन जीने में इतने व्यस्त हैं कि हम शायद ही कभी रुकें और गौर करें कि दुनिया भर में ऐसा क्यों हो रहा है? क्या आपने पूछा और जानने की कोशिश की?

लेकिन फिर हमें जगाने के लिए कुछ होता है। हमारे माता-पिता का तलाक हो जाता है। सड़क पर लड़की का अपहरण या बलात्कार हो जाता है। एक रिश्तेदार को कैंसर हो गया। ऐसा कुछ जो हमें थोड़ी देर के लिए जगाता है। तब हम सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं, की कुछ सही नहीं है। कुछ वास्तव में है जो बहुत गलत है। ज़िंदगी इस तरह तो नहीं होनी चाहिए।

इस बात को नहीं ठुकराया जा सकता की इस दुनिया में दर्द और दुःख तकलीफे हैं। पर सवाल अब ये उठता है कि:

तो, बुरी बातें क्यों होती हैं?

यह दुनिया एक बेहतर जगह क्यों नहीं है?

कौन है जो इस दुनिया को जिस तरह से है उससे अलग बना सकता है?

ईश्वर यह कर सकता है। लेकिन वह नहीं करता है। कम से कम अभी तो नहीं। और हम इन सभी चीज़ों की वजह से ईश्वर से नाराज़ हैं। हम कहते हैं, “ईश्वर सर्व-शक्तिमान और सर्व-प्रिय नहीं हो सकता। अगर वो होते, तो यह संसार वैसा नहीं होता जैसा है! क्या मैंने सही कहा?

बुराई की शुरुआत कहाँ से हुई?

भगवान ने शुरूवात से एक आदर्श दुनिया बनाई, जिसे भगवान ने “बहुत अच्छा” कहा (उत्पत्ति 1:31) इसलिए जब परमेश्वर ने इंसान को बनाया, तब वास्तविक में कोई बुराई नहीं थी। इस “बहुत अच्छी” दुनिया में कोई हिंसा या दर्दनाक चीज़ें नहीं थी।

लेकिन परमेश्वर ने जब इंसान को बनाया तो उन्हें अपनी छवि में बनाते हुए इंसानो को चुनाव करने की शक्ति दी। इस बात को समझने की कोशिश कीजिये की अगर कोई आपसे प्यार करता है तो वो आपको सही या गलत निर्णय लेने की फ्रीडम देगा नहीं तो हम सिर्फ एक कठपुतली की तरह कहलाये जायेंगे!

इस कहानी से समझे अपने चुनाव

 मैं एक बार एक इंसान से बात कर रहा था जो एक नाई था। उसने मुझसे यही सवाल पूछा की अगर भगवान है तो इस दुनिया में इतनी बुराइयां क्यों हैं? मैं उसको लेकर गया और उसे एक राह चलते व्यक्ति जिसके चेहरे और सर पर बहुत सारे बाल थे। मैंने उसकी ओर इशारा करते हुए पूछा की अगर तुम नाई हो तो उस इंसान के इतने बाल क्यों हैं? उस नाई ने हैरान होकर बोला की जब वो मेरे पास आया ही नहीं तो मैं उसके बाल कैसे काट दूँ? यही हमारी सच्चाई है उस ईश्वर के साथ जिसने हमें बनाया है। हमारा उनसे संपर्क ही नहीं है। यही सबसे बड़ा कारण है इस दुनिया की बुराइयों का!

 हम सभी ने ईश्वर के बिना जीवन बनाने की कोशिश की है। बहुत सारे लोगों को दूसरों की ग़लतियों का भुगतान करना पड़ता है जहां उनकी कोई गलती नही होती। हम सब कहीं ना कहीं सिर्फ अपनी मर्ज़ी कर रहे हैं बिना सोचे की उसका परिणाम क्या होगा। 

मैं अतीत में संघर्ष कर चुका हूं, मुझे जवाबों से ज़्यादा ज़रूरत है “आशा” की – मुझे भरोसा चाहिए कि मैं इस दुख से गुज़र जाऊँगा और हमें यह जानने की जरूरत है कि इस दर्द से परे कुछ है जो हमें इन दुःख दर्द से बचा सकता है। 

खुशख़बरी!!!

 जब आप पीड़ित होते हैं तो ईश्वर जानता है कि आप किस चीज़ से गुज़र रहे हो – क्योंकि वह खुद इस कठिनाई से हमारे लिए गुज़रा था।

ईश्वर पृथ्वी पर एक आदमी के रूप में रह चुके हैं, उन्हें यीशु कहलाया गया। यीशु ने जो हमारे लिए साहा है उससे अधिक दर्दनाक इस जीवन में और कुछ नहीं हो सकता है, उनके अपनो ने उन्हें छोड़ दिया। उनके क्रूस पर चढ़ने से पहले उन्हें पीटा गया, फिर उन्हें एक क्रॉस में डाल दिया गया, शर्मनाक सार्वजनिक प्रदर्शन में। यह सब कुछ उन्होंने हमें पाप के दंड से बचाने के लिए किया और फिर वो मौत से विजयी होकर तीसरे दिन फिर से जीवित हो उठा।

वह उन लोगों के साथ रहने का वादा करता है जो उस पर भरोसा करते हैं, उन्हें दिलासा देते हैं और उनके दुख-दर्द में मदद करते हैं। बाइबिल में लिखा है कि “हे थके-माँदे, बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें सुख चैन दूँगा।” लेकिन उस वादे से भी ज्यादा आश्चर्यजनक यह है कि यीशु वादा करता है कि एक दिन वह सभी दुखों का अंत कर देगा। दुख देने वाले दोषी लोगों को एक दिन उसे जवाब देना होगा, और न्याय किया जायेगा।

पर अगर हम उस पर भरोसा करते हैं, हालाँकि हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, पर वह हमें सुरक्षित रखेंगे। निर्णय आपका है या तो ईश्वर के साथ या उसके बिना इस जीवन को जी सकते हैं। 

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Nirvi

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