जीवन

मानव अधिकार: उत्पीड़न और शोषण के प्रकार|Human Rights

मानव अधिकार के सिद्धांत

‘यह मेरा हक़ है’, ‘हमें इंसाफ चाहिए’, ‘माय राईट टू लिव’, ‘वी वांट जस्टिस’ – ऐसे स्लोगन्स काफी सुनाने में आते हैं, लोग सड़को पे कैंडल मार्च करते या जुलूस निकलते हुए अकसर इन स्लोगन्स का इस्तेमाल करते हैं। और हम आज के यूथ, ऑफिस में बॉस या घर में पापा – हर किसी को यही कहते हैं, “ऑय डीसर्व इट(I deserve it), ऑय वांट इट (I want it), इट्स माय राईट (Its my right)। पर क्या है हमारा राईट? क्या है हमारा अधिकार या हर इन्सान का अधिकार ?

मानव अधिकार और उसके प्रकार

हर इन्सान को आजादी, समानता और इज्जत पूर्ण तरीके से जिंदगी के जीने का अधिकार है, मानव अधिकार। हमारे संविधान में एक आयोग भी है जिसे “Human Rights Commssion” कहते हैं। यह संविधान मानवाधिकार की सुरक्षा करता है और इसका उलंघन करने वालो को सजा भी देता है।

मानव अधिकार आयोग के कुछ कार्य क्षेत्र है जैसे

  • महिला अधिकार, बाल मजदूरी, एड्स, हुमन/सेक्स ट्रेफिकिंग, बाल विवाह, स्वास्थ, भोजन, उत्पीडन से बचाव, चोरी/लूटपात में हिरासत
  • इन सामाजिक, आर्थिक और नागरिक अधिकारों के लिए कानून है पर गौर करने की बात यह है की सामजिक तौर पे कितने लोग इन अधिकारों का पालन या उलंघन करते है ? और कितने लोग उत्पीडन से गुजरते हुए रिपोर्ट दर्ज करते हैं ?

कुछ साल पहले… सरपंच और दोषी महिला की कहानी

मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने गाँव गयी थी। एक शाम एक दोषी महिला का न्याय सुनाने पंचायत बैठी। गाँव वालो का आरोप था की वो महिला किसी के साथ अनैतिक सम्बन्ध रखती है। उसका चरित्र अच्छा नहीं और गाँव के बच्चो पर इसका बुरा असर पड़ रहा है इसलिए उस औरत को गाँव से निकाल दिया जाये। सब इस बारे में एकमत थे और फाइनल फैसला सरपंच के हाथ में था।

सरपंच जी ने सबकी बात सुनने के बाद कहा,“क्या अनैतिक सम्बन्ध में यह औरत अकेले है? जितनी दोषी यह है उतना ही दोषी इसका साथी भी। क्योंकि यह एक औरत है इसलिए तुम सब इसे न सताओ। और महिला तुम आगे यह गलती न दोहराना वरना मुझे तुम्हारी तरफ सख्ती बरतनी होगी”।

सभा के बाद मैं सरपंचजी से मिली और उनके फैलसे को सराहना करते हुए पुछा की उन्होंने सबकी बात नजरंदाज़ कर इतनी बारीकी से कैसे महिला को जस्टिस दिया जबकि हर कोई उसे अकेला दोषी मान रहा था।

उन्होंने हँसते हुए मुझे बताया की इंसाफ और लोगो को प्यार करने की नई काबिलियत उन्हें बाइबिल पढ़ कर मिली।

मानव अधिकार और बाइबिल

गलातियों 5:1 ‘मसीह ने हमें स्वतन्त्र किया है, ताकि हम स्वतन्त्रता का आनन्द ले सकें। इसलिए अपने विश्वास को दृढ़ बनाये रखो और फिर से व्यवस्था के विधान के जुए का बोझ मत उठाओ।

यशायाह 1:17 अच्छे काम करना सीखो। दूसरे लोगों के साथ न्याय करो। जो लोग दूसरों को सताते हैं, उन्हें दण्ड दो। अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष करो। जिन स्त्रियों के पति मर गये हैं, उन्हें न्याय दिलाने के लिए उनकी पैरवी करो।”

बाइबिल बताती है की

  • यीशु मसीह ने क्रूस पे अपनी जान देकर मनुष्य को हर बंधन से मुक्त किया है और हमें इस स्वंतन्त्रता का आनंद उठाना चाहिए
  • निष्पक्ष रूप से दूसरों के साथ न्याय करें। बच्चो और महिलायों के साथ संवेदनशील रहे

मानवाधिकार पहचाने और उनका उपयोग करे

  • अगर अपने आसपास किसी के साथ कोई जुल्म, इंजस्तिस देखते हैं तो चुप मत रहिये, आयोग में रिपोर्ट कीजिये
  • डोमेस्टिक वायलेंस, इमोशनल एब्यूज, चाइल्ड एब्यूज – अमोमन हमलोग ऐसे केसेस को इगनोर करते है यह कहकर की उसके घर का मामला है उसे सोल्व करने दो। ध्यान कोई मामला अज किसी के घर का है तो कल अपने घर का भी हो सकता है। पहचानिए इन बातों को और आवाज़ उठाइए
  • अपने घर ऑफिस, कॉलेज में बच्चो का शोषण या बाल मजदूरी न होने दे
  • किसी जातिवाद, धर्म या रंग के कारणों से एडमिशन/जॉब नहीं मिल रही तो उस इंस्टीट्यूशन को बताइए की आप अपने अधिकार जानते हैं और उनकी इस पक्षपात को रिपोर्ट कर उनका लाइसेंस होल्ड करा सकते है

यीशु ने अपनी जान आपके लिए दी थी ताकि आप फ्री रह सके। आपके फ्रीडम और हर आर्थिक, सामाजिक और नैतिक अधिकार हमारे आयोग में लिखे है | जरुरत है तो सिर्फ उन्हें पहचाने की और आवाज़ उठाने की।डरिये मत क्योकि डर के आगे जीत है। मानवाधिकार के विषय में और जानने के लिए हमसे बात करें। आओ चलें एक नयी मंजिल पे।

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Nirvi

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