प्यार क्या है राहुल? "प्यार दोस्ती है। क्युकी अगर वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त नहीं बन सकती, तो में उससे प्यार कर ही नहीं सकता।" क्या आप को "कुछ कुछ होता है" फिल्म के शाहरुख की तरह लगता है, की प्यार का दूसरा नाम दोस्ती है?
यह कहानी है दो दोस्तों की, रमेश और सूरज। इन दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी, कि इनके किस्से पूरे गाँव में जाने जाते थे। दोनों एक गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ा करते थे, और बेल बजने पर तेज़ी से कैफेटेरिया की और दौड़ते, ताकि चावल ख़त्म होने से पहले पेट भर खा पाए। दरहसल बात यह है कि रमेश को थोड़ी ज़्यादा भूख लगती थी, और इसलिए सूरज उसे अपने हिस्से का खाना भी दे देता। मगर तब भी रमेश की भूख न मिटे, तो सूरज बगल के घर जाता, जहाँ उसकी माँ काम किया करती और रात का बचा हुआ खाना लाके अपने प्रिय मित्र को दे देता। बड़ी दिल को छूने वाली दोस्ती थी इन दोनों की।
कई साल बीत गए, और दोनों अपनी ज़िन्दगी में आगे बड़ गए। रमेश एक बड़ा गवर्नमेंट ऑफीसर बन गया और सूरज उनके गांव के फैक्ट्री में एक कार्यकर्ता। पर ताजुब की बात यह थी, कि दोनों की दोस्ती पहले से और ज़्यादा गहरी हो गयी। जो प्यार सूरज ने रमेश को बचपन में दिया, वही प्यार रमेश ने भी सूरज को दिया और उसकी हर ज़रुरत में उसकी मदद की।
दोस्ती का रिश्ता बहुत ही ख़ास और प्यारा होता है। दो लोग भले ही खून के रिश्ते से न जुड़े हों, पर प्यार के गहरे रिश्ते से बंधे होते हैं। कई बार हमारा खुदका परिवार हमें ठुकरा ही क्यों न दे, सच्चे दोस्त हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते। बाइबिल में लिखा है, “जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है।” इसका मतलब यह है, कि एक सच्चा दोस्त हमें सही रास्ते पर चलने में मदद करता है और कठिनाइयों में हमारा साथ भी देता है। हम सभी को ज़िन्दगी में एक ऐसे दोस्त की ज़रुरत है, जो हमेशा हमारा साथ दे। अगर आपने अपने जीवन में सच्ची दोस्ती के प्यार का अनुभव नहीं किया है, तो एक मौका यीशु को दें। वह एक ऐसा दोस्त है जो न ही आपको कभी छोड़ेगा और न ही कभी ठुकराएगा।
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