“क़िस्मत का लिखा कोई नहीं मिटा सकता।” “ये तो नसीबों की बात है।” क्या हमारी ज़िंदगी सच में क़िस्मत का…
हमारे पैदा होने से मरने तक हमारी पहचान और हमारा जीवन पाप और धर्म से जुड़ा हुआ है। पर क्या…