मैं कौन हूँ, मेरा मकसद क्या है : Hindi Shayari

मैं कौन हूँ, मेरा मकसद क्या है 

क्या पहचान हे मेरी, मेरा वजूद क्या है 

क्या हूँ बस मैं, एक भीड़ का हिस्सा  

अनकहा अनसुना, एक अधूरा किस्सा 

सब उलझे हैं, बस अपनी ही कश्मकश में 

किसे है परवाह, की मेरी सही कीमत क्या है   

अक्सर एक आवाज़, दिल पे दस्तक देती है            

मेरी शख्सियत का हाल, मुझ से पूछ लेती है 

मैं अक्सर कोई उम्दा बहाना, पेश  करती हूँ 

वो अक्सर मेरा झूट, पहचान लेती है 

चलिए आज खुद को एक, पहचान देते हैं 

अपनी गुमनामी को एक नया, नाम देते है 

जिंदगी से कहतें हैं, अब मेरी पहचान मसीह से है 

मैं यीशु का हूँ, ये सब को बता देंतें हैं 

मैं ज़रिया हूँ, जिससे खुदा अपना प्यार दिखता है 

मेरे हाथों ही से तो, वो मदद का हाथ बढ़ाता है 

मेरी आखों में झलकती है तरस, मेरे यीशु की

वो मुझ में होकर ही तो, किसी के काम आता है  – 

चाहे रहूं मशरूफ मैं, हर दिन अपने काम में 

चाहे लगी रहूं दिनरात, हर चीज़ के इंतज़ाम में 

मैं जानती हूँ मेरी हर बात, यीशु को महिमा देती है 

एक यही बात है जो मुझे, मुकम्मल पहचान देती है 

 अपनी पहचान को यीशु में, बनाये रखिये 

आप उसमें हैं और वो आप में, ये ध्यान रखिये 

मत ढूंढिए वो पहचान जो कल खो जाएगी 

आप यीशु में हैं, ये पहचान अनंत तक साथ जाएगी 

न आपकी पहचान आपका धन और दौलत है

न आप का वज़ूद, आप को मिली शोहरत है

भला साथ लेकर ये अपने, कौन इस जहां से जायेगा 

बस सच्चा नाम यीशु का, आपको स्वर्ग ले जायेगा 

अपनी आँखों की धुंधली चादर हटा कर तो देखो 

वो नज़दीक है, आप भी तो करीब आकर देखो 

उसके मिलने से, आपको पहचान मिल जाएगी 

अपने दिल में यीशु को, बसा कर तो देखो 

दुनिया में आने से पहले ही, वो आप को पहचानता है 

क्या काम है आपका मुक़र्रर, वो सब जनता है 

भेजा है उसने आपको, बड़े मकसद से जहाँ में  

राजदूत हैं आप उसके, ये ही आपकी सच्ची पहचान है  

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Nirvi

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