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क्या इंसान भगवान बन सकता है?

क्या इंसान भगवान बन सकता है?

भगवान

क्या इंसान भगवान बन सकता है?

इंसान नाम और प्रसिद्धि पाने के लिए ना जाने क्या क्या करते हैं। हमारा जुनून इस कदर बढ़ चुका है कि हम ईश्वर का स्थान लेना चाहते हैं। पर क्या ये मुमकिन है? क्या सच में हम इतनी तरक़्क़ी करके भगवान तक पहुँच सकते हैं?

अगर आपको सूपर पावर मिल जाए तो आप क्या करोगे?

अगर आज आपको एक दिन के लिए सुपरमैन की ताकते दे दी जाए तो आप क्या करोगे? मैं तो सबसे पहले पूरी दुनिया का चक्कर लगाऊंगी, बादलों के ऊपर चलूंगी, दुनिया के सब अजूबों की सैर करूंगी, देश विदेश के पकवान खाऊंगी, बुर्ज खलीफा के ऊपर खड़े होकर सेल्फी लूंगी क्योंकि मेरे पास बस एक दिन है इस सुपर पावर के साथ। 

  पर सोचने की बात है कि यदि यह ताकत हमें हमेशा के लिए मिल जाए तो? अगर इंसान भगवान बन सकता या इंसान भगवान बन जाए तो कैसा होगा? क्या यह मुमकिन हो सकता है? चलिए आज़ इस बात पर चर्चा करते हैं। 

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क्या भगवान बनना मुमकिन हो सकता है?

                      आई फ़ोन एक जाना माना फ़ोन है जो सभी लेना चाहते हैं, पर क्या वो स्टीव जॉब्स जिसने आईफोन को बनाया है बन सकता है? आई फ़ोन के नए वर्ज़न, नए अपग्रेट कुछ कुछ समय के बाद आते हैं लेकिन वो स्टीव जॉब्स की जगह नहीं ले सकता न ही वो वैसा बन सकता है बिलकुल वैसे ही इंसान भी जो एक रचना है अपने रचने वाले की जगह नहीं ले सकता। अगर ये बात बोलने में इतनी अजीब लगती है कि आई फ़ोन स्टीव जॉब्स बन गया तो ये कितना अधिक अजीब है की सृष्टि अब सृष्टि नही सृष्टिकर्ता बन गई है। 

                      कभी आपने यह सोचा है कि क्यों हम जानवरों या पक्षियों पर प्रभुता करते हैं, उन्हें विज्ञान में बढ़ता हुआ, समृद्ध होता हुआ नहीं देखते। ऐसा इसलिए है क्योंकि केवल इंसान ही ऐसी सृष्टि है जिसे ईश्वर ने सबसे ऊपर ठहराया है।

इंसान भगवान का स्वरूप है 

                     बाइबिल के उत्पत्ति में ऐसा लिखा है कि ईश्वर ने इंसान को अपने स्वरूप और अपनी समानता में अपने जैसा बनाया है और उसे यह अधिकार दिया है कि पृथ्वी और उसमे जो कुछ है उसे अपने वश में कर ले और उस पर प्रभुता करे और जो भी काम करे उसमे फलवंत हो। इसलिए हमें भगवान बनने की जरूरत नहीं है और ना ही सूपर पावर के पीछे भागने की ज़रूरत है क्योंकि उसने हमें खुद ही अपने जैसा बनाया है और वो अधिकार दिया है जिसे हम सृष्टि की किसी और रचना में नहीं देखते। 

             ईश्वर ने इंसान को अपनी समानता में इसलिए बनाया है कि वो सब बातों में उसकी भलाई और प्रेम में जिए ना कि उस योजना से बाहर जाकर जो ईश्वर ने हमारे लिए बनाई है क्योंकि ऐसा करना केवल एक जूठ पर जीना होगा जिससे न तो आपको कुछ हासिल हो पाएगा और न ही आप संतुष्ट रह पाओगे।

                    आप तो पहले से ईश्वर के स्वरूप और उसकी समानता में बनाए गए हो इसीलिए अपनी पहचान में बने रहें और ईश्वर पर विश्वास करें और अपने परमेश्वर की दी हुई आशिषों का लुत्फ उठाएं। 

अगर आप इस बारे में और जानना चाटे हो तो हमसे बात करो। 

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