भगवान
मुझे किस से प्रार्थना करनी चाहिए
मैं प्रार्थना किस से और कैसे करूँ? क्या जो भी प्रार्थना करूँगा वो क़बूल होगी? इस बात की क्या ग़ैरिंटी है कि भगवान मेरी प्रार्थना को सुनेगा भी या नहीं?!
प्रार्थना क्या है?
प्रार्थना एक बड़ा सम्मान और एक खास तोहफा है जो परमेश्वर ने हम सभी को दिया है ताकि हम उससे प्रार्थना करें। प्रार्थना हमें परमेश्वर से गहरी दोस्ती करने में मदद करती है। जब दो दोस्त रोज़ बात करते हैं और एक दूसरे को बताते हैं कि वह अपने जीवन में क्या सोचते हैं, कैसा महसूस करते हैं और उनकी क्या चिन्ताएँ हैं, तब उनकी दोस्ती और भी गहरी होती जाती है। वैसे ही परमेश्वर भी चाहता है कि हम उससे बातचीत करें और उसे अपने बारे में बताएं।
बाइबिल में हम कई बातों को देखते हैं जहां पर परमेश्वर चाहता है कि हम और से प्रार्थना करें। इस बात को हम कैसे जानेंगे? तो आईए, इस बात को जानने के लिए हम फिलिपीयो 4: 6 और 7 पढ़ेंगे जो कहता है:
“किसी भी बात की चिंता मत करो, परंतु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाए। तब परमेश्वर की शांति जो सारी समझ से परे है तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।“
वह कहता है कि किसी भी बात की चिंता मत करो परंतु अपने निवेदन को धन्यवाद के साथ उसके सामने रखें तभी वह हमको अपनी शांति देगा।
क्या भगवान हमारी प्रार्थना को सुनेगा या नहीं?
कभी-कभी हमें लगता है कि क्या वो हमारी प्रार्थना को सुनेगा या नहीं? ये सवाल हम सभी के मन में आता है अगर हम चाहते हैं कि वो हमारी प्रार्थना को सुनें तो हमें उस पर विश्वास करना होगा।
उदाहरण के लिए यदि हम अपने माता-पिता से कुछ मांगते हैं तो वह हमें देते हैं हम उनके पास भी एक विश्वास के साथ जाते हैं कि हमें उनसे ये चीज मिल जाएगी।
हमें नम्रता के साथ प्रार्थना करनी चाहिए कि हम अपनी बात को उसके सामने सरलता से रख सकें और वह हमारी प्रार्थना का उत्तर देगा। हमारा उसके साथ एक ऐसा रिश्ता होना चाहिए जैसा कि एक पिता का अपने पुत्र के साथ होता है।
हम ऐसी हर एक बात को उसके सामने रखते हुए प्रार्थना कर सकते हैं जैसे कि हमारी या हमारे परिवार की जरूरत के लिए, विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में बुद्धि के लिए, सही फैसले लेने के लिए समझ और मुश्किलों का सामना करने के लिए हिम्मत भी मांग सकते हैं। हमें प्रार्थना सिर्फ अपने लिए ही नहीं परंतु दूसरों के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए।
उम्मीद है कि आपको पता लग गया होगा कि हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए। परंतु अपना विश्वास परमेश्वर पर रखें ताकि वो आप के विश्वास के द्वारा वैसे ही काम करें जैसे आपने परमेश्वर से उम्मीद और विश्वास रखा है।