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ईश्वर मेरी सारी प्रार्थनाओं का जवाब क्यों नहीं देता?

परमेश्वर मेरी सारी प्रार्थनाओं का जवाब क्यों नहीं देता?

भगवान

ईश्वर मेरी सारी प्रार्थनाओं का जवाब क्यों नहीं देता?

सच्ची भक्ति क्या है? क्यों ईश्वर हमारी प्रार्थनाओं का जवाब नहीं देता। इस कल्यूग में मैं क्या करूँ कि यीशु मेरी प्रार्थना को सुन ले?

मैं ईश्वर से प्रार्थना कैसे करूँ?

 प्रार्थना करना मतलब ईश्वर से बातचीत करना होता है। बातचीत अगर एक तरफा ही हो तो वो अजीब लगता है। पर वह अगर दोनों तरफ से हो तो बहुत अच्छा लगता है। सुनना और जवाब देना यह दोनों क्रिया बातचीत में होती है। जिसने यह दुनिया बनायी और तुम्हें – मुझे बनाया क्या वह हमें अनदेखा और अनसुना कर सकता है ? नहीं.. बिल्कुल नहीं। हमारी हर एक प्रार्थना सुनी जाती है। पर कौन सी प्रार्थना का कब जवाब देना है वह सिर्फ हमारा परमेश्वर पिता ही जानता है। क्योंकि हर एक बात के पीछे कुछ ना कुछ मकसद होता है। और हम इंसान कभी कभी इसे समझ नही पाते और परेशान होने लगते हैं। मेरी प्रार्थना क्यों नहीं सुनी जा रही है? क्या परमेश्वर मुझसे प्यार नहीं करता। या वह सिर्फ किन्हीं गिने चुने लोगो की ही प्रार्थना को सुनता है। ऐसे सैकड़ों सवाल मन औऱ दिमाग में घूमते हैं और परमेश्वर पर अविश्वास को पैदा करते हैं।

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आइए कुछ उदाहरण देखें

  •  अगर हमारे बच्चे है और वह खाने पीने के लिये हमसे साँप या जहर माँगे तो क्या हम उनको वह देगे? नही कभी भी नहीं। क्यों ऐसा? हमे तो हमारे बच्चों की हर एक बात को मानना चाहिए ना क्योंकि हम उनसे प्यार करते है? और परमेश्वर जो हमारा स्वर्गीय पिता है। उसे भी तो सब मानना चाहिए?? क्या आपको यह सही लगता है??? इसका जवाब साफ साफ है “नहीं”। जो चीजें हमारे लिये हानिकारक है वह इस संसार के माता पिता भी नहीं देंगे और हमारा स्वर्गीय पिता भी नहीं देगा। इसलिये जब कभी हम प्रार्थना करते हैं और क्योंकि परमेश्वर जनता है कि वह चीजें हमारे जीवन के लिये हानिकारक है इसलिए वह हमें जवाब नही देता है क्योंकि वह अच्छा देना चाहता है। 
  • आइए बाइबिल के वचन से इसे देखे-

अतः: जब तुम बुरे होकर, अपने बच्‍चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को अच्छी वस्तुएँ क्यों न देगा?

मत्ती 7:11 

  • ईश्वर के पास हमारे लिये बेहतर योजना होती है। इसलिये वह हमें जवाब नहीं देता। क्यों ना बाइबिल से देखे। क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन् कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा ।

यिर्मयाह 29:11 

  • हमें हर प्रार्थना में यीशु मसीह पर विश्वास करना है। अगर हमारा विश्वास ही नही है कि यीशु मसीह मेरे लिये यह करेगा। तो वह सिर्फ बोली हुई प्रार्थना होगी। उस प्रार्थना का जवाब आना मुश्किल है। हम यह नही कहते की बहुत सारा विश्वास चाहिए। पर अगर राई के दाने जितना भी विश्वास हो तो प्रार्थना का जवाब मिलेगा। वरना नहीं । 

विश्‍वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है; क्योंकि परमेश्‍वर के पास आनेवाले को विश्‍वास करना चाहिए कि वह है, और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।

इब्रानियों 11:6 

सच में बाइबिल के वचन हमें कितना मदद करते हैं हमारे सवालों के जवाब के लिए। और यह जानने के लिये की हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए। अगर आप और अधिक जानना चाहते हैं` तो हमसे नयी मंजिल के द्वारा (चैट ) बातचीत करे।

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