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चंगाई की प्रार्थना। क्या प्रार्थना करने से चंगाई मिलती है?

चंगाई की प्रार्थना। हमें भगवान की ज़रूरत क्यों है?

भगवान

चंगाई की प्रार्थना। क्या प्रार्थना करने से चंगाई मिलती है?

प्रार्थना क्या है? क्या प्रार्थना मेरे ख़ालीपन ओर अकेलेपन का उत्तर है? क्या प्रार्थना में सामर्थ और चांगई है? क्या हमें सच में भगवान की जरूरत है कि हम पूर्ण महसूस करें?

क्या हमें सच मे भगवान की जरूरत है कि हम पूर्ण महसूस करें?

मैं क्यों भगवान पर विश्वास करूँ? मैं अच्छे काम करके भी तो अपने जीवन को सही कर सकता हूँ। दूसरों के साथ अच्छा करो तो तुम्हारे साथ भी अच्छा होगा? मैं क्यों भगवान का नाम लूँ या मैं क्यों भक्ति साधना करूँ? क्या हमें भगवान से प्रार्थना तभी करनी चाहिए जब हम किसी परेशानी में हों? या हमारे प्राण संकट में हो तभी परमेश्वर को याद करना चाहिए?

साधू संतो और बूढ़े लोगों को भगवान का नाम लेते देख, पूजा पाठ करते देख हम हैरान नहीं होते क्योंकि हम यही विश्वास करते आए हैं कि यह काम बूढ़े लोगों का है या उन लोगों का है जो अपनी जिंदगी जी चुके हैं और अपनी जिंदगी के आखिरी पल भगवान को प्रसन्न करने में लगे हैं। यह लोग अपनी भूल चूक का प्रायश्चित कर रहे हैं ताकि उन्हें स्वर्ग लोक में प्रवेश करने को मिले।
क्या ऐसा मानना सही है? नहीं! पर क्यो ?

दिल का ख़ालीपन और अकेलापन 

यदि भगवान से अलग रहकर मनुष्य सब कुछ हासिल कर सकता है तो फिर मनुष्य इतना कामयाब होकर भी अपने भीतर खालीपन और अकेलापन क्यों महसूस करता है?  क्या मनुष्य का जन्म पढ़ने, घर बार संभालने, शादी करने और नौकरी करने के लिए हुआ है? वह अपने असली अस्तित्व के सवालों का उत्तर आज तक नहीं ढुढ़ पाया। क्यों?क्योंकि वह असल में परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया हैं और मनुष्य के सवालों का उत्तर सिर्फ परमेश्वर में है। वही हमें मुक्ति दे सकता है। तो फिर मैं उससे कैसे बात करूं? भक्ति साधना कर के? धर्म यात्रा कर के?  पूजा हवन करके? नहीं! प्रार्थना से।

प्रार्थना क्या है?

प्रार्थना मंत्रों का पढ़ना नहीं बल्की प्रार्थना परमेश्वर से बातें करना है। उसी तरह जैसे दो लोग आपस मे बातें करते हैं। प्रार्थना – परमेश्वर को अपने मन का हाल बताना, उसका धन्यवाद करना, अपनी परेशानी बताना, उससे मदद मांगना, उसे खोजना- प्रार्थना हैं।

मैं प्रार्थना क्यों करूं?

क्योंकि प्रार्थना ही वह ज़रिया है जिससे आप परमेश्वर से संपर्क कर सकते हैं, उससे बातें कर सकते हैं, उसे जान सकते हैं, उसे खोज सकते हैं। प्रार्थना के द्वारा ही आपके सारे संघर्ष खत्म हो सकते हैं। हम केवल अपनी परेशानियों से हल पाने के लिए प्रार्थना ना करें बल्कि इसलिए क्योंकि हम इस रिश्ते के लिए बुलाए गए हैं कि हम परमेश्वर से बात करें और वह हमसे।

मैं प्रार्थना में किन शब्दों का उपयोग करके करु? क्या मैं ॐ का जाप करूँ?

कहा जाता है कि ॐ शब्द हजारों  साल पुराना मत्रं है जिसका प्रयोग हिन्दू ,बौद्ध धर्म और अन्य धर्मो मे किया गया है। हिंदू धर्म के अनुसार ॐ शब्द मे पूरा ब्रमाणड समाया है और यह शुरुआत की पहली आवाज़ है जो वर्तमान और भविष्य दोनों को घेरे है। पर क्या इस शब्द के इस्तेमाल से हमारी प्रार्थनाएँ पूरी हुई, हमारी परेशनियाँ दूर हुई, हमारे सवालों का उत्तर मिला या हमें चंगाई मिली?

बाईबल के यूहन्ना 1 मे लिखा है आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। यीशु मसीह को परमेश्वर का वचन कह के पुकारा गया है। इस वचन के इस्तेमाल की शक्ति आप तभी देख सकते है जब आप इसका इस्तेमाल अपनी प्रार्थना में करे।

यीशु मसीह के नाम से की गई प्रार्थना की शक्ति –  मेरी चंगाई

मेरे शरीर में रसौली थी जिसके कारण मेरे पेट में बहुत तेज दर्द रहता था। मैं चल नहीं पाती थी ना कोई काम कर सकती थी। मैं ईसाईयों की प्रार्थना सभा में गई वहां यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना के बाद मेरे शरीर में से रसौली बाहर आ गई। मैं अपनी आँखो पर यकीन नही कर पा रही थी कि यीशु मसीह के नाम को लेकर प्रार्थना करने से मेरे शरीर से रसौली बाहर आ गई।

यीशु मसीह के नाम का इस्तेमाल करके मुझे पूरी चंगाई मिली। मेरे पेट मे अब कोई दर्द नहीं है, मैं ठीक से चल सकती हूँ, दौड़ सकती हूँ, सब काम कर सकती हूँ। यदि आप चंगाई चाहते हैं तो यीशु मसीह का नाम लेकर प्रार्थना करें। वह उन सबको चंगा करता है जो उस पर विश्वास करते हैं। यीशु मसीह जात-पात, धर्म नहीं देखता। बस विश्वास देखता है। उस पर विश्वास करे और उसके नाम की समर्थ से अपने जीवन को बदलता देखे।

यदि आप प्रार्थना करना सीखना चाहते है, प्रार्थना  के बारे में और जानना चाहते हैं या आप चंगाई की प्रार्थना के विषय में बात करना चाहते हैं तो आप हमसे संपर्क करें। हम आपकी मदद करने के लिए इच्छुक हैं।

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