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यीशु मसीह के सच्चे मंत्र: वचन और उपदेश

यीशु मसीह के सच्चे मंत्र: वचन और उपदेश

भगवान

यीशु मसीह के सच्चे मंत्र: वचन और उपदेश

जानिए ऐसे मंत्र जो पलट दे आपकी काया ! क्या है वो यीशु मसीह के मंत्र जिसने संसार को पलट कर रख दिया? आख़िर कहाँ से आती है यीशु में इतनी सामर्थ? कौन है ये यीशु – कोई सतगुरु, शिक्षक या परमेश्वर का पुत्र? आइए जाने बाइबिल के यीशु की सच्चाई!

ऐसे मंत्र जो पलट कर रख दें आपकी काया

जी हाँ…यीशु मसीह के सच्चे मंत्र…!!!

वो मंत्र जिन्हें आज भी ये दुनिया सबसे ऊँचा स्थान देती है…

वो मंत्र जिन्होंनें इस दुनिया की काया पलट दी…

वो मंत्र जिसने इस दुनिया के लोगों कि ज़िंदगी को बदला…

ये मंत्र वैसे तो हमें पवित्र शास्त्र बाइबिल में मिलते हैं, और ये बहुत से हैं, लेकिन यहाँ हम उनमें से कुछ को ही जानने की कोशिश करेंगे।

यीशु मसीह की प्रार्थना

यीशु मसीह ने कुछ इस तरह प्रार्थना किया:

“हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।”

“तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।”

“हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।”

“और जिस प्रकार हमनें अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।”

“और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा।”

इस प्रार्थना के हर एक श्लोक में हमनें देखा कि यीशु मसीह अपने पिता परमेश्वर से किसी न किसी चीज़ की गुहार लगा रहे हैं। वह प्रार्थना कर रहे हैं कि परमेश्वर का राज्य धरती पर आए जो कि शांति और प्रेम का राज्य है। वह प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर एक पिता कि तरह हम संतानों को हमारी रोज़ी रोटी दे और हमारे पापों या ग़लत कामों को माफ़ करे। इसमें परमेश्वर से यह भी प्रार्थना की गई है कि वह हमें बुराई से बचाए और परीक्षा में न पड़ने दे।

यीशु एक शिक्षक या सतगुरु

हमें प्रार्थना या मंत्र सिखाने वाले यीशु मसीह को हम एक सत्गुरु या शिक्षक के रुप में देख सकते हैं। राजा राम मोहन राय ने अपने एक लेख में यीशु मसीह के बारे में कुछ ऐसा लिखा है- “…यीशु मसीह सही मायनों में सत्य के स्वामी और दुनिया के आत्मिक/आध्यात्मिक गुरु हैं…।”  5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन के जन्मदिन पर हम शिक्षक दिवस मनाते हैं। उन्होंनें यीशु मसीह के बारे में कहा था कि वह एक आदर्श गुरु हैं।

यीशु ही ने हमें इस सच्चाई से हमारा सामना करवाया कि परमेश्वर हमारे पिता हैं और वो हमसे प्यार करते हैं।

यीशु मसीह- परमेश्वर पुत्र

यीशु मसीह ने जगत में रहते हुए लोगों के पापों को माफ़ किया। हम जानते हैं कि हम जो भी ग़लत काम करते हैं, वो परमेश्वर की नज़र में पाप होता है। यीशु ने हमारे पाप क्षमा किए, जिससे पता चलता है कि वही परमेश्वर हैं। यीशु ने रोग और बीमारियों से भी लोगों को छुटकारा दिया, उन्हें स्वस्थ किया। जिस तरह मनुष्य का पुत्र, मनुष्य होता है, ठीक उसी तरह परमेश्वर का पुत्र, परमेश्वर…हम पवित्र शास्त्र बाइबिल में इस बात को और अच्छे से समझ सकते हैं।

अगर वास्तव में यीशु मसीह सतगुरु और परमेश्वर हैं तो आख़िर ज़िंदग़ी जीने और समाज में लोगों से आपसी व्यवहार के बारे में उन्होंनें क्या उपदेश या सीख दी?

आख़िर किस तरह लोग एक समाज में आपस में प्रेम और शांति से रह पाएँगे?

1. यीशु ने कहा कि अगर हम अपने भाई पर क्रोध करते हैं तो हम उसी सज़ा को पाएँगे जो एक हत्यारे को मिलती है।

2. यीशु के अनुसार अगर हम किसी स्त्री को ग़लत नज़रों से देखेंगे तो हम व्यभिचारी कहलाएँगे।

3. उन्होंने हमें शपथ लेने से मना किया क्योंकि इस जीवन कि कोई भी चीज़ हमारे नियन्त्रण में नहीं है।

4. जिस अहिंसा के दम पर भारतवर्ष को आज़ादी मिली वह यीशु मसीह कि इसी बात पर थी कि अगर यदि कोई हमें एक गाल पर तमाचा मारे तो हम अपना दूसरा गाल भी उसके आगे कर दें।

5. यीशु मसीह दुनिया के इतिहास के इकलौते शख़्स हैं जिन्होंनें हमें अपने शत्रुओं से प्रेम करने का उपदेश दिया।

6. यीशु मसीह ने कहा कि हम दान जैसा अच्छा काम लोगों को दिखा कर नहीं पर चुपके से करना चाहिए।

7. दूसरों पर कोई दोष लगाने से पहले अपने दोष को देखने कि सीख यीशु मसीह ने दी।

यीशु मसीह के दो सुनहरे उपदेश

1. अपने परमपिता परमेश्वर को अपने पूरे दिल-ओ-जान से प्यार करो और अपने पड़ोसी को उतना प्यार करो जितना ख़ुद अपने-आप से करते हो।

2. दूसरों से वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम चाहते हो वो तुमसे व्यवहार करें।

ऐसी और भी कई अनगिनत सीख, उपदेश, वचन या मंत्र आपको पवित्र शास्त्र बाइबिल में मिलेंगे। अगर आप इस बारे में इच्छुक हैं तो हमसे chat करें।

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