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जीवन में अनुशासन क्यों ज़रूरी है? | Discipline |

जीवन में अनुशासन क्यों ज़रूरी है?

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जीवन में अनुशासन क्यों ज़रूरी है? | Discipline |

क्या आप जानते हैं कि जीवन में अनुशासन लाने से हम सफलता की सीढीयों पर चढ़ना शुरू कर देते हैं लेकिन हमारी सफलता में सबसे बड़ी बाधा हमारा अनुशासनहीन जीवन ही तो है। तो हमें क्या करना चाहिए जिससे हम इससे उभर सकें और सफलता को प्राप्त करें?

अनुशासन क्या है?

“परम्परा, प्रतिष्ठा, अनुशासन। यह इस गुरुकुल के तीन स्तम्भ है। यह वो आदर्श हैं जिनसे हम आपका आने वाला कल बनाते हैं।”

आपने मोहब्बतें फ़िल्म में अमिताभ बच्चन जी का ये फ़ेमस ड़ाइलोग तो सुना ही होगा। और आज हम इसके तीसरे स्तम्भ “अनुशासन” पर बात करते हैं। इसका मतलब क्या है? आख़िर अनुशासन से मेरा क्या फ़ाइदा होगा- इस तरह के सवाल हमें परेशान करते हैं।अनुशासन का मतलब है अपने मन और शरीर को ट्रेन करना ताकि हम अपने आप को और अपने ऐक्शंज़ को कंट्रोल कर सकें और नियमों का पालन कर सकें और अपने निर्धारित गोल/ मंज़िल तक पहुँच सकें। आइए हम इसे आसान तरीक़े से समझें- आपने प्रकृति को देखा है उसको बनाने वाले ने हर चीज़ का नियम बनाया है फिर वो मौसम, पेड़ पौधे हो या जीव जंतु और अगर हम उस अनुशासन का उलांघन करते हैं तो हमें उसका परिणाम भुगतना पड़ता है वैसे ही अनुशासन का महत्त्व हमारे जीवन में है।

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अनुशासन सफलता की सीढ़ी है

हर सुबह सोशल मीडिया पर हम बॉलीवुड सिलेब्रिटीज़ की जिम जाने की विडीओ और तस्वीरें देखते हैं और ये उनके अनुशासित जीवन का उदाहरण है। अनुशासन हमारे सफ़र और मंज़िल के बीच की वो सीढ़ी है जिसे तय किए बिना हम अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच सकते फिर वो स्कूल में पढ़ाई हो या खेलकूद हो; ऑफ़िस में नौकरी हो या घर पर नियमित तरीक़े से समय देना। जीवन में अनुशासन उस स्तम्भ की तरह है जिस पर हमारी सकेसस टिकी हुई है। जीवन में सफल होने के लिए टैलेंट या स्किल काफ़ी नहीं होते अगर अनुशासन ना हो तो हमारे स्किल और टैलेंट किसी काम के नहीं हैं। 

अनुशासन की कीमत हमेशा पछतावे की कीमत से कम होती है। इसलिए आत्म अनुशासन हमारे जीवन का सबसे बड़ा निवेश है। Dr. APJ Abdul Kalam 

ये पाँच tips एक अनुशासन का जीवन जीने के लिए: 

  1. हर रोज़ सुबह उठकर अपने पूरे दिन का रूटीन लिखें और उसे पूरा करने की कोशिश करें। कई बार आप शायद कुछ काम पूरे नहीं कर पाएँगे पर आपको इस बात का पछतावा होगा कि आप वो काम नहीं कर पाए और अगले दिन से उसे करने की कोशिश करेंगे। 
  2. अपने लिए एक मेंटॉर (mentor) ढूँढे और अपने जीवन का उत्तरदायित्व दें। मेंटॉर हमारी कमियों पर काम करने के लिए हमारी मदद करते हैं और जब हम हिम्मत हारने लगते हैं तो वो हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं। 
  3. आपको उन चीजों और आदतों को ना बोलना होगा जो आपका समय बर्बाद करती हैं जैसे सोशल मीडिया पर ज़रूरत से ज़्यादा समय बिताना, बहुत ज़्यादा tv देखना, विडीओ गेम्ज़ खेलना आदि।
  4. अपने हर काम के लिए समय निर्धारित करें और उस समय के अंदर अपना काम ख़त्म करने की कोशिश करें। ऐसा करने से आप कम समय बर्बाद करेंगे और अपने काम को वक्त पर भी ख़त्म कर पाएँगे।  
  5. बाइबिल बताती है कि “हे मेरे पुत्र, परमेश्वर की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना, क्योंकि परमेश्वर जिस से प्रेम रखता है उस को डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को डाँटता है जिसे वह अधिक चाहता है।” प्रभु यीशु हमें अनुशासन इसलिए सिखाता है ताकि हम विनाश के रास्ते पर ना जाएँ। 

अगर आपको मदद की ज़रूरत है तो नयी मंज़िल से बात करें। 

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