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क्या जुआ एक लत है? जुआ खेलने वालों के लिए मदद और उपाय | Gambling |

क्या जुआ एक लत है? जुआ खेलने वालों के लिए मदद और उपाए | Gambling |

जीवन

क्या जुआ एक लत है? जुआ खेलने वालों के लिए मदद और उपाय | Gambling |

जुआ हमारे जीवन का शोर्ट्कट नहीं है! इसके जाल में क्या आप फँसते जा रहे हैं? क्या आप ग़ुलाम बन गए हैं इस जुए की लत के? जुआ खेलने वालों के लिए मदद है यहाँ।

जुआ आपके जीवन को कैसे प्रभावित करता है ?

किसी कवि ने कहा है – “ये ज़िन्दगी है एक जुआ, कभी जीत है कभी हार…” …जुए की यही एक बात कई लोगों को इसकी लत लगाती है और उनके जीवन को प्रभावित करती है। कुछ ऐसी ही ज़िन्दगी एक व्यक्ति की थी और उसका दोस्त उससे इस बारे में बात करना चाह रहा है।

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आओ सुनिए सोनू और प्रदीप की बातचीत (प्रदीप घर से जल्दबाज़ी में निकलता हुआ, घर के बाहर अचानक उसकी मुलाकात उसके दोस्त सोनू से होती है)

सोनू: अरे प्रदीप! इतनी जल्दबाज़ी में कहाँ जा रहे हो?

प्रदीप: अरे, मैं चन्दन की चाय दुकान पे जा रहा हूँ। वहाँ महेश, जीतू, मुन्ना और उसके कुछ साथी मेरा इन्तज़ार कर रहे हैं। आज एक बड़ी बाज़ी का खेल है। जुआ खेलेंगे आज!

सोनू: अरे यार तुम फिर जुआ खेलने निकल पड़े! तुम्हें अपने काम पर नहीं जाना क्या?

प्रदीप: मैं आज सुबह की बाज़ी खेल कर ही अपने काम पर जाऊँगा। तुम्हें पता नहीं क्या, मैंने कल ही 200 रुपये की बाज़ी लगाकर 2000 रुपये जीते। मैं बड़ा लकी हूँ यार! (बेहद ख़ुश होकर)

सोनू: लेकिन दो दिन पहले तुमने 400 रुपये हारे भी तो थे! अब कहो अपने आप को लकी! (प्रदीप का मजाक बनाते हुए)

प्रदीप: यही तो बात है भाई, तुम नहीं समझोगे। ये ज़िन्दगी भी तो एक जुआ ही है, इसमें कभी हार है, तो कभी जीत! इसी में तो ज़िन्दगी का मज़ा है मेरे दोस्त! (रोमांचित होकर)

सोनू: बातें न बनाओ प्रदीप! तुम अच्छे से जानते हो मैं तुमसे क्या कहना चाह रहा हूँ!

प्रदीप: अरे हाँ मेरे भाई, मैं समझ रहा हूँ। (हँसते हुए)

सोनू: अगर मेरी बातें तुम्हारी इतनी समझ में आ रही हैं तो फिर अपना वक्त इन सब चीजों में क्यों बर्बाद कर रहे हो ? आज 200 रुपये जीतना, फिर कल 200 रुपये हारना, फिर कभी 400 जीतना, और फिर 2000 हार जाना, ये सब कब तक चलता रहेगा? अगर ये ज़िन्दगी जुआ होती, तो फिर पूरी दुनिया इसी से चलती। पर ऐसा  तो बिल्कुल भी नहीं, है ना! (गंभीरता से)

प्रदीप: बात तो सही है भाई।पर क्या जुआ खेलना बिलकुल गलत है? (थोड़ा सोचते हुए)

सोनू: और ज़रा यह भी तो सोचो कि तुम्हारा कितना वक्त बर्बाद होता होगा और कहीं-ना-कहीं तुम अपने काम पर और अपने परिवार और दोस्तों को भी वक्त नहीं दे पा रहे होंगे, क्योंकि ज्यादातर वक्त तुम्हारा चन्दन की चाय दुकान पर बाज़ियाँ लगाने पर गुज़रता होगा! (हल्की हँसी के साथ चुटकी लेते हुए)

प्रदीप: हाँ सच में।

सोनू: प्रदीप, एक बात तुम्हें मैं बताता हूँ। ये ज़िन्दगी कोई जुआ नहीं है। ये परमेश्वर का हमें दिया हुआ एक तोहफा है जिसे हमें अपने परिवार, दोस्त और चाहने वालों के साथ जीना है। क्योंकि जुए के बारे में परमेश्वर अपने वचन बाइबल में कहते हैं कि यह हमारे वक्त और जीवन को बर्बाद करता है। और परमेश्वर ये वादा भी करते हैं कि “मैं तुम्हें भरपूर, खुशहाल और अनंत जीवन देना चाहता हूँ।”

प्रदीप: क्या सच में ईश्वर ऐसा कहते हैं?

सोनू: हाँ प्रदीप! ईश्वर हम सबसे प्यार करते हैं। बाइबल यह भी कहती है कि एक मेहनती आदमी ही जीवन में खुशहाल होता है ना कि वो जो मेहनत ना करे। जुआ खेलने से हमारी मेहनत करने की चाहत कम हो जाती है और हम बस जुए की हार-जीत पर निर्भर रहने लगते हैं।

प्रदीप: हाँ भाई! कुछ दिनों से ये ख़्याल मेरे मन में भी आ रहा था कि अगर मैं जुए में जीतने लग जाऊँ तो मुझे रोज़ काम पर जाने की ज़रूरत ही नहीं! लॉटरी लग जाए तो मज़ा आ जाए!

सोनू: हाँ प्रदीप, तुम्हारे मन में ये ख़्याल आना लाज़मी है। और तुम ये भी तो देखो की यह सब कुछ कितनी आम बात है। अक्सर त्योहारों पर भी जैसे होली या दीवाली पर, जब अपने परिवार और दोस्तों के साथ वक्त बिताना चाहिए, कुछ लोग जुआ खेलते हैं।

प्रदीप: पर ये तो बुरी बात है ना !

सोनू: यही तो मैं तुमसे कह रहा हूँ। जुए की इस लत ने कितने घर- परिवारों को बर्बाद कर दिया। कितने लोगों की धन-संपत्ति दाँव पर लग गई, घर की औरतों के गहने बिक गए, सब इस जुए की वजह से।

प्रदीप: ये जुआ तो जानलेवा आदत है! (बहुत गम्भीरता से)

सोनू: लेकिन इस आदत से बचने का उपाय है।

प्रदीप: क्या?

सोनू: प्रार्थना! प्रार्थना का मतलब है ईश्वर से बातें करना।  बाइबल बतलाती है कि जब हम ईश्वर से प्रार्थना में बातें करते हैं तो वो हमारी बातें सुनता है और उसका जवाब देता है। ईश्वर चाहते हैं कि हम प्रार्थना के साथ ईश्वर के बताए रास्ते पर चलें और एक ख़ुशहाल और इज़्ज़त की जिन्दगी हमारे लिए होगी।

प्रदीप: सोनू, तुम्हारी बातें बहुत दिलचस्प हैं! आओ घर के अन्दर, बैठ के बातें करें। मैं ईश्वर और उनके इस भरपूर ज़िन्दगी के बारे में और जानना चाहता हूँ। मैं जीतू और मुन्ना को फ़ोन पर मैैसेज भेज देता हूँ कि मेरे नाम की बाज़ी आज ना लगाए। मैं चन्दन की दुकान पर आज नहीं जाऊँगा।

सोनू: हाँ प्रदीप। बाइबल के अनुसार इस तरह के मामलों में हमें आपस में बात करनी चाहिए और मदद लेने से हिचकिचाना नहीं चाहिए। बाइबल कहती है कि जब हम परमेश्वर का नाम लेकर एक साथ आकर बातें करते हैं तो वो हमारी बातें सुनता है और हमारी मदद करता है।

( दोनो प्रदीप के घर के अन्दर चले जाते हैं )

जुआ खेलने वालों के लिए मदद

ईश्वर का वचन बाइबल कहता है कि उसने हमें हमारी माँ की कोख में ही चुन लिया और हमें खुशहाल और उसके प्यार से भारी ज़िन्दगी देने की चाहत रखता है।अगर आपको भी जुए की आदत है और मदद पाना चाहते हैं तथा ईश्वर की भरपूर ज़िन्दगी का स्वाद चखना चाहते हैं तो ईश्वर के वचन बाइबल को पढ़ें और हमसे सम्पर्क करें। आप अपनी ज़िन्दगी की बातों को और अपने प्रॉब्लम्स को हमारे साथ बाँट सकते हैं। आपकी निजी बातें सिर्फ आपके और हमारे बीच रहेगी। आशा है कि बहुत जल्द हमारी आपसे बात होगी।

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