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मैं कैसे ख़ुश रहूँ?|How to be happy in life?|

मैं कैसे ख़ुश रहूँ? | How to be happy in life? |

जीवन

मैं कैसे ख़ुश रहूँ?|How to be happy in life?|

क्या आप कभी किसी ऐसे इंसान से मिले हैं जो ख़ुश नहीं रहना चाहता? फिर भी हमें समझ नहीं आता के हम ख़ुश कैसे रहें? आइए हम हमारे जीवन के वो पल देखें जिनके बिना हमारे जीवन में कोई सार नहीं है।

मुझे ख़ुशी कहाँ मिलेगी?

पत्नी मायके से वापिस पति दरवाज़ा खोलते हुए जोर से हंसने लगा.. पत्नी: ऐसे क्यों हंस रहे हो? पति: गुरु जी ने कहा था कि जब भी मुसीबत आए तो उसका सामना हंसते हुए करो.. सच में दोस्तों कुछ लोग बस यूं ही ख़ुश मिज़ाज होते हैं कि उन्हें शायद ही हम कभी परेशान देखें। आपके आसपास भी ऐसे दोस्त होंगे जो इस तरह की पर्सनालिटी रखते हैं। कुछ दिन पहले जब मैं आगरा से दिल्ली जा रही थी, मैंने कुछ बच्चों को सड़क पर रंग बिरंगे गुब्बारे बेचते हुए देखा। उनके कपड़े गंदे, मैंले और फटे हुए थे। वह हर कार के शीशे में झांक कर अपने गुब्बारे खरीदने का आग्रह करते और कोई खरीद लेता तो पैसे लेकर ख़ुशी-ख़ुशी दौड़े चले जाते। मैंने सोचा इनकी भी क्या जिंदगी है; फुटपाथ ही इनका घर, स्कूल, मैदान बन गया है। यह लोग भी अपनी छोटी सी दुनिया में ख़ुशी के कुछ पल बटोर लेते हैं!

                                                                 
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ख़ुशी हमारे अपनों में

यह जानकर आश्चर्य तो नहीं होता कि हमारे हाथ में जो मोबाइल फोन है वह भी “हैप्पीनेस” के कई ऐप भेजता है। कुछ लोग सुबह-सुबह फूलों वाला गुड मॉर्निंग मैसेज भेजनारेडियो पर अपने मनपसंद गाने सुनना, या अखबार पढ़ने में भी मज़ा लेते हैं। दिन रात काम करते हुए भी वीकेंड का इंतजार करते हैं। पार्टी का मूड बनता है, दोस्तों के साथ परिवार के साथ मूवी देखना,  शॉपिंग करना, घूमने जाना, होटलों में लज़ीज़ खाना यह सब अब ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। यह सब करने में इंसान को ख़ुशी मिलती है, हम प्यार भरे रिश्तों को बांधकर रखना चाहते हैं। पर कभी-कभी यह सब होने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि ज़िंदगी में कुछ कमी रह गई है। किसी अपने से लगाए हुए खुशियों की उम्मीद; बस उम्मीद ही रह जाती है। इंसान अकेला रह जाता है, धोखा खाता है, निराश हो जाता है। कभी रिश्तों में धोखा तो कभी बिजनेस में। कभी नौकरी नहीं रहती तो कभी छोकरी। और फिर दुनिया की सारी बातें जैसे एक भाप के समान लगती है।

किसी ने एक कविता लिखी है: “परमेश्वर कब याद आता है?”

चोर के पकड़े जाने पर किसान के वर्षा ना होने पर गरीब को भूख लगने पर कंजूस के पैसे खो जाने पर मुसाफिर की ट्रेन छूटने पर व्यापारी का नुकसान होने पर धनी के बीमार हो जाने पर नेता के चुनाव के नतीजों पर और पापी को मृत्यु पर!

हमारी ख़ुशी परमेश्वर में

कहीं ना कहीं यह मेरा मानना है कि बहुत हद तक यह कविता सच है। पर क्या परमेश्वर भी ऐसा हैनहीं! वह इसलिए कि वह इंसान के दिल को भली भांति जानता है। वह हमारी तब भी सुधी लेता है जब हम उसे भूल जाते हैं। हमारी ख़ुशियों का ख्याल रखना वह शख्स बखूबी जानता है जिसने हमें बनाया है। जगत के सिरजनहार ने हर वह चीज बनाई जिसे पाकर इंसान ख़ुश रह सके। अगर हमारी ख़ुशी की सबसे ज्यादा किसी को चिंता है, तो वह सच में परमेश्वर है!  उसका साथ अगर मिल जाए तो हर इमतेहान में आगे बढ़ने का हौसला मिलता है। उसकी आशीष बनी रहे तो ख़ुशियाँ  दूर नहीं रह सकती। तो दोस्तों, देखा आपने कितना आसान है ख़ुश रहना!

अंत में कुछ टिप्स भी अगर फॉलो करें तो आप ज़रूर खुश रह सकते हैं

  • अपना रिश्ता परमेश्वर से बनाए रखे – सारी चिंता उसी पर डाल दे
  • किसी को हानि ना पहुंचाएं
  • अपनी सेहत पर ध्यान दें
  • 
अपने आप से और औरों से प्यार करें
  • थोड़ी चीजों में संतुष्ट रहें
दुनिया जीतकर तो सिकंदर भी खाली हाथ गया था। और जानने के लिए हमसे संपर्क करें। नयी मंज़िल के साथ जाने खुशी का राज़।
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