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Blog: सफलता की कहानी करियर और पैसा- मेरी कहानी मेरी ज़ुबानी | Career and Money |

जीवन

Blog: सफलता की कहानी करियर और पैसा- मेरी कहानी मेरी ज़ुबानी | Career and Money |

क्या आप सफलता की ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं? अगर आप संघर्ष और ग़रीबी से ऊपर उठना चाहते हैं तो ये सफलता की कहानी को ज़रूर पढ़ें।

 ग़रीबी और असफलता से मेरा संघर्ष

मेरा नाम शुभम दत्त है। मेरे नाम का मतलब है हर एक वो चीज़ जो अच्छी है। लेकिन मेरे बचपन की यादें बिल्कुल भी अच्छी न थीं। मेरे पापा की नौकरी के चले जाने के बाद हमारा परिवार उधार और ग़रीबी के अंधेरे में डूबने लगा। उधार वसूलने के लिए लेनदार हमारे घर के दरवाज़े तक पहुंच आए। हमारा अपना घर न होने की वजह से हमें दर-दर भटकना पड़ता था। मुझे याद है कि उन दिनों हमें दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से मिलता था।

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स्कूल पास-आउट करने के बाद जिंदगी में आगे सफल होना तो दूर की बात, एक नौकरी मिलना तक मुश्किल हो गया था। मुझे अपने मम्मी, पापा और बहन का पेट पालने के लिए नौकरी की तलाश में इधर-उधर घूमना पड़ा और तभी मेरी आंटी ने मुझे दिल्ली में बुला लिया। दिल्ली के एक कपड़े की फ़ैक्टरी में मैं कपड़ों को प्रेस किया करता था। पूरे दिन के लंबे काम के बाद एक बार जब मैंने अपने फै़क्ट्री के मैनेजर को उनके केबिन में कंप्यूटर पर काम करते हुए दिक्कतों का सामना करते हुए पाया तो मैंने जाकर उनकी मदद की और इस चीज़ से अगले ही दिन मुझे मैनेजर के असिस्टेंट की नौकरी मिल गई। मेरे आने वाले दिन काफी मुश्किल में गुज़रे, क्योंकि मुझे दिल्ली में ही अलग कमरा लेकर रहना पड़ा पर मैंने मेहनत से काम किया।

मेरी ज़िंदगी में सफलता की सीढ़ी 

आने वाले दिनों में मेरी मेहनत, लगन और संघर्ष के कारण मैं मैनेजर के काफी करीब हो गया और एक दिन वह मुझे अपने साथ एक प्रार्थना सभा में ले गए जहां पर परमेश्वर के बारे में बताया जाता था। फै़क्ट्री, बिज़नेस और कॉरपोरेट जगत की चकाचौंध भी मुझे काफ़ी लुभाने लगी पर वे सभी बुरी बातें मुझे अपने काम और परमेश्वर से भटका न सके। मैं आने वाले दिनों में परमेश्वर के प्रेम और अपनी ज़िंदगी के मकसद को जानता गया और उसी दौरान मैं अपने फै़क्ट्री में जेनेरल मैनेजर का असिस्टेंट तक बन गया। मैं इस बात को जान पाया कि सच्ची सफलता सिर्फ किसी काम या नौकरी में नहीं बल्कि अपने परमेश्वर के प्रेम को जानने में भी है।

आज मेरे परिवार के हालात सुधर गयी है और मेरा एक ख़ुद का मेंटेनेंस और सर्विसेज़ का बिजनेस है। हमारा कोलकाता में अपना एक घर है। हमारे सिर पर अब कोई उधार नहीं बल्कि हम एक खुशहाल और सफ़लता से भरी ज़िंदगी जी रहे हैं। मैं परमेश्वर के बताए सच्चाई और ईमानदारी के उसूलों  के साथ अपने बिज़नेस को चला रहा हूं।

अगर आप इस सच्ची कहानी से इंस्पायर हुए हैं तो आज ही ‘नई मंज़िल’ के साथ संपर्क कीजिए। हम आपको सफलता पाने में और परमेश्वर के साथ एक प्रेम का संबंध बनाने में आपकी मदद करेंगे।

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