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एक अच्छी शादी कैसे चलाएँ?

एक अच्छी शादी कैसे चलाएँ?

प्यार

एक अच्छी शादी कैसे चलाएँ?

क्या अच्छी शादी का मतलब ये होता है कि एक couple हमेशा एक दूसरे के प्यार में डूबा रहता है या अच्छी शादी का मतलब दो परिवारों का मिलना होता है? आख़िर एक अच्छी शादी या रिश्ता कैसे चलाया जाए? आइए जाने!!

एक अच्छी शादी कुछ ऐसी होती है!!

अच्छा लगता है जब कोई हमारी परवाह हमसे ज्यादा करता है! शादी के बाद कुछ ऐसा ही होता है! जब दो लोग एक साथ रहने का वादा करते हैं तो केवल शरीर नहीं पर दो आत्मा एक होती हैं। कसम लेते हैं हमेशा साथ रहने के लिए, दुःख में, कमी में, घटी में, बिमारी में और हर छोटी बड़ी मुसीबत में।

मैंने एक बुजुर्ग जोड़े को अपनी शादी से पहले बड़े गौर से देखा था। वो अकेले रहते थे और अक्सर लोग उन्हे मिलने जाते थे। बुढ़ापे में भी दोनों की नोक झोक में इन्तेहा प्यार दिखाई पड़ता था, और जब एक की मृत्यु हुई तो ऐसा लगा जैसे की उनका कोई गहरा दोस्त चला गया। हम चाहे कितनी भी नोक झोंक कर लें पर अपने साथी से प्रेम कम नहीं होता क्योंकि यह रिश्ता ही कुछ ऐसा है।

पर ये रिश्ता सिर्फ़ प्यार पर ही नहीं टिका है ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं जिनका हमें ध्यान रखना होता है क्योंकि हम इंसान के साथ पूरी ज़िंदगी बिताने का फ़ैसला करते हैं।

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आप एक अच्छी शादी चलाने के लिए कुछ टिप्स को फ़ॉलो कर सकते हो:

  • एक दूसरे का सम्मान करे
  • अपने रिश्ते को विश्वास की दुनियाद पर रखें और एक दूसरे के अधीन रहें। 
  • एक दूसरे को माफ़ करे, अच्छे जोड़े वह हैं जो जल्दी माफ़ करते हैं
  • एक दूसरे का काम में हाथ बटाएँ, विचार शेयर करे और अपने पार्टनर को प्रोत्साहित करे
  • समय निकालकर साथ रहें, घुमने जाए और छोटे छोटे मौको में खुश रहें
  • धन संपत्ति से ज्यादा इंसान को महत्व दे
  • सच्चे प्रेम में डर नहीं होता ऐसा पवित्र शास्त्र बाइबिल बताती हैं
  • सच्चे प्रेम में अहंकार और जलन नहीं होती ऐसा पवित्र शास्त्र बाइबिल बताती हैं

और ऐसी छोटी छोटी दिनचर्या की कई बातें हैं जो यदि शादी शुदा जोड़ा ध्यान से देखे तो रिश्ते में मजबूती जरुर आयेगी। कई बार हम अपनी परेशानी मैं अपने दोस्तों से शेयर करते हैं, और अपने पार्टनर से कहने में डरते हैं। हो सकता है आपको अधिकतर समय सही सलाह मिले लेकिन बेहतर होगा अगर पति-पत्नी के बीच साफ़ बात हो। दोनों अच्छे दोस्त बनकर रहें तो ज़िन्दगी आसन हो जाती है।

हमे यह समझना है कि पति और पत्नी की सृष्टि एक दूसरे की पूर्ति करने के लिए हुई है। जब पहला पुरुष (आदम) बगीचे में था तो परमेश्वर ने देखा की उसे अकेले नहीं रहना चाहिए और उसके लिए एक सहायक बनाया। एक दुसरे को संभालना हमारा कर्त्तव्य है और इस प्रेम के बंधन को अगर एक सुंदर बगीचे की तरह रखा जाए तो जीवन में सुख और शांति बनी रहेगी। परमेश्वर की सहायता से यह संभव है।

यीशु मसीह ने कहा जो परमेश्वर ने जोड़ा है उसे कोई भी मनुश्य अलग नहीं कर सकता। वैसे ही जिस व्यक्ति का रिश्ता परमेश्वर से जुड़ जाता है उसे परमेश्वर कभी नहीं छोड़ेगा। उसे वह सारी ख़ुशी देगा जो वह उसे देना चाहता है। अगर आप और जानना चाहते हैं तो हमसे जुड़ सकते हैं। 

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