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मत कहिए की मैं खूबसूरत नहीं: Hindi Shayari

मानसिक स्वास्थ्य

मत कहिए की मैं खूबसूरत नहीं: Hindi Shayari

मत कहिए की मैं खूबसूरत नहीं

किसी को मेरी ज़रूरत नहीं

अलग शक्लोसूरत अलग रंगरूप

अलग-अलग कदकाठी, जुदा-जुदा सब का रूप

पर सब इन्सां हैं खुदा की कारीगरी

वो कौन है जिसे खुदा ने बनाया नहीं

न कोई सुन्दर और न कोई कुरूप है

हर एक में बसा है येशु का ही रूप है

हर एक को बनाया उसने बड़ा ही नायाब

उनके हाथों के नक्श भी एक जैसे नहीं

न सोच तेरे होने में खुदा की मर्ज़ी नहीं

तेरा होना उसके लिए अनहोनी नहीं

तू बड़ा भयपूर्वक और अद्भुत रीति से है बनाया गया

तेरी एक हड्डी भी उससे छिपी नहीं  

 मुख़्तलिफि से मुहब्बत करता है ख़ुदा

क़ायनात में नित नए रंग भरता है ख़ुदा

हर ज़र्रा बनाया उसने अपने ही हाथ से

क्या आप को भी उस रब ने बनाया नहीं

ना कहिये ख़ुदा ने मुझे कुछ बेहतर बनाया होता

किसी और के जैसी खूबियों से मुझे भी सजाया होता

जो मिला है आप को, उससे कई लोग महरूम है  

इस बात पर आपने, क्यों गौर फ़रमाया नहीं

 आप बहुत खास हैं, 

जो जुदा है सबसे आप में वो बात है

मत जानिए कमतर खुद को ,

 कभी दूसरों के सामने

आप ने पाया है प्रेम येशु मसीह का, 

मसीह जैसा दिल आपके पास है

महरूम है ख़ुदा के प्यार से, दूसरों की आज़माइश करने वाले

देख कर किसी के नाकनक्श, हंस के तंज़ करने वाले

भूल जाते हैं क्यों की हर इंसान में ख़ुदा का अक्स बस्ता है

बदनसीब है वो जो ख़ुदा के प्रेम से महरूम है

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