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क्या भगवान इस संसार से गुस्सा हैं?

क्या भगवान इस संसार से गुस्सा है?

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क्या भगवान इस संसार से गुस्सा हैं?

भगवान इस महामारी में कहाँ है? क्या भगवान इस संसार से ग़ुस्सा है? ऐसे कितने सवाल हम सभी को अंदर ही खाए जा रहे हैं और हम सभी के पास इसका जवाब नहीं है। आख़िर इन सब का जवाब हमें कहाँ मिलेगा?

क्या ये महामारी भगवान का इस संसार पर क्रोध है?

24 मार्च, 2020 को प्रधान मंत्री ने पुरे देश मे कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा दिया। वह बढ़ता गया और आज भी बहुत समय के बाद भी सब कुछ पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ। लाशों का ढेर लगा। करीब 16.8 करोड़ लोग दुनिया भर में अब तक अपनी जान गवा बैठे हैं। कुछ लोगों के लिए यह बहुत दुःख का समय है।

सारी सामाजिक और धार्मिक कार्यो पर नियंत्रण लगाया गया। प्रार्थना, पूजा के लिए मंदिर, मस्जीद, गुरुद्वारा और गिरजाघर भी बंद किये गए। सब कुछ ऑनलाइन होना शुरू हो गया।

आखिर ऐसी क्या बात है जो इतनी बड़ी महामारी मनुष्य जाती पर आयी है। बाड़, सुनामी, तूफ़ान, भूकंप, सुखा, टिड्डियों का प्रकोप ऐसे अनेक परेशानियाँ आई हैं, लेकिन कोरोना ने सबका घमंड तोड़ दिया। अमिर क्या गरीब; इस महामारी ने किसी को नहीं छोड़ा।

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इस का ज़िम्मेदार कौन है?

कुछ लोगों का मानना हैं की यह प्रकृति से खिलवाड़ करने का नतीजा हैं। न्यूज़ में चीन को इसके लिए जिम्मेदार कहा या कुछ इसको परमेश्वर का प्रकोप मानते हैं!

तो क्या आप भी यह मानते हैं की परमेश्वर हमसे गुस्सा हैं? इस संसार से क्रोधित हैं?

मेरा व्यक्तिगत मानना यह कि परमेश्वर हमसे कुछ कहना चाहता हैं, अपनी ओर ध्यान खीचना चाहता हैं। बचपन में मेरे पिता मेरे पिता से नफरत करते थे मुजसे नहीं, वैसे ही हमारा आसमानी पिता हमसे प्रेम करता हैं लेकिन हमारे पाप और गुनाहों से नहीं।

जब प्रभु यीशु मसीह इस दुनिया में थे तो एक दिन कुछ समाज के पंडितों ने उनके बुरे लोगों के साथ भोजन करने पर आपत्ति जताई। इस पर प्रभु यीशु मसीह ने कहा कि भले लोगों को डॉक्टर की ज़रूरत नहीं, बीमारों को हैं। अपनी दया और प्रेम से उन्होंने लोगों का दिल जीता, भीड़ की भीड़ उनसे मिलने के लिए और बीमारियों से ठीक होने के लिए जमा होती थी।

मैं तो इस प्रेमी परमेश्वर को जानती हूँ जो कभी किसी मनुष्य का विनाश नहीं चाहता।

क्या पता ये हमारे लिए एक चेतावनी हो की हम अपने जीवन में जो पाप के कारण बिगाड़ हुआ है उसे सुधार लें। नशा, शराब, अश्लील संबध और हर वह पाप जो हम अँधेरे में करते है हमे एक पवित्र जीवन से दूर करता हैं।

ऐसी लाइफस्टाइल की उम्र छोटी होती है, पल भर की ख़ुशी और फिर खोखला और खालीपन। हम इसे मॉडर्न ज़माने का नाम देकर सही नहीं मान सकते।

समय आ गया है कि हम यीशु मसीह की तरफ़ मुड़ें और अपने ग़लत कामों की ज़िम्मेदारी उठाएँ और ईश्वर हमसे इतना प्यार करते हैं कि हमारी सारी ग़लतियों को माफ़ कर देंगे। अगर आपको मदद की ज़रूरत है तो हमसे बात करें। 

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