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क्या मेरी इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं

क्या मेरी इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं

भगवान

क्या मेरी इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं

सब कुछ करने के बाद भी मेरी मानो कामना क्यों नहीं पूरी हो रही है? क्या मेरी इच्छाएँ निर्धारित समय पर ही पूरी होंगी या मुझे इसके लिए कुछ करने की ज़रूरत है?

मेरी इच्छाएँ कैसे पूरी होंगी??

हिंदुस्तान जैसे देश में करोड़ों देवी देवता हैं और हर कोई अपने इश्वर के पास अपनी मनो कामना और इच्छाएँ लेकर जाता है। कुछ लोग व्रत रखते हैं, बहुत सारे हवन भी करते हैं और अलग अलग तपस्या और जतन करते हैं जिससे उनकी मन की इच्छा किसी तरह पूरी हो जाए।

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दिलचस्प बात यह है कि इच्छा पूर्ति इश्वर की कई परिभाषा हैं, हर कोई गैरंटी देना चाहता है। व्यक्तिगत इच्छा की बात करें तो लोगों को अक्सर यह बातें परेशान करती हैं:

  • धन सम्पत्ति के लिए प्रार्थना करना
  • शादी, प्रेम विवाह संपन्न होना
  • घर, संतान प्राप्ति, सुख शांति प्राप्ति
  • टोना तोड्का, जादू टोना, बुरी नज़र से बचना
  • अच्छी सेहत, अच्छा मन और मरने के बाद स्वर्ग को पाना और मुक्ति पाना

इन सब में एक बात समझ है कि इंसान किसी ना किसी तरह से इश्वर के पास जाकर अपनी समस्या का हल ढूंडना चाहता है। मैं भी किसी मित्र के कहने पर बहुत सारे देवों की शरण में गया, पैसा भी दिया लेकिन निर्धारित समय पूरा होने पर भी मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई। उसके बाद और भी कुछ चढ़ावा किया, बहुत सारे तिर्थ स्थान और रीती रिवाजों का पालन किया, लेकिन ना तो मन में शांति मिली और ना ही मेरी इच्छा पूरी हुई। मुझे यकीन है आप में से भी कई लोगों का यही हाल होगा।

ईश्वर ने मेरी इच्छाओं को पूरी किया

मेरा जीवन साधारण चल रहा था और फिर मेरे हाथ एक किताब लगी, उस किताब में मनुश्य जीवन का उद्देश्य साफ़ साफ़ लिखा था, उसमे गुरु यीशु मसीह के जीवन से सम्बंधित जानकारी थी। यीशु मसीह की शिक्षा, उनके जीवन के सिद्धांत और मृत्यु के बाद का जीवन कैसा होता है- यह बातें लिखी थी। उनके चेलों के जीवन से मैं बहुत प्रभावित हुआ। उनकी स्वर्गीय बातों ने मेरे मन में बहुत शांति डाली। यीशु मसीह कहते हैं कि स्वर्ग का राज्य पाने के लिए कर्म की नहीं परंतु विश्वास की जरुरत है। कर्म करके तो मैं थक गया था क्योंकि मुझे इसका उत्तर ठीक से नहीं मिल रहा था कि मुझे कितने अच्छे कर्म करने चाहिए जीवन में सुख, शांति और मोक्ष पाने के लिए।

एक समय ऐसा आया जब मैं समझ गया कि धरती की माया सब यही तक सीमित है। असली बात तो सच्चे इश्वर को जानने में है। सच्चा परमेश्वर ही मेरी हर इच्छा को जान सकता हैं और पूरी कर सकता है। मेरी खोज यीशु मसीह को चख कर पूरी हुई, उन्हें चख कर ही मैंने जाना कि वह कितना भला है। 

अगर आप भी यीशु के बारे में और जानना चाहते हैं तो नई मंज़िल से जुड़ सकते हैं। 

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