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क्या है मेरी ज़िन्दगी का मकसद? 

क्या है मेरी ज़िन्दगी का मकसद?

जीवन

क्या है मेरी ज़िन्दगी का मकसद? 

18 में कॉलेज, 21 में नौकरी, 25 में ज़ादा पैसे वाली नौकरी, फिर 26 में शादी और बच्चे। 60 में रिटायरमेंट और फिर एक आलीशान बंगले में बाकी की ज़िन्दगी। क्या आप भी ऐसी ज़िन्दगी जीने का ख्वाब देखते है? लेकिन यह सब हासिल करने के बाद, क्या कोई गारंटी है कि आप ज़िन्दगी में खुश और संतुष्ट रहेंगे?

73 साल की उम्र में, सैंडर्स बने मिलियेनर! 

अगर आप स्वादिष्ठ चिकन खाने में रूचि रखते हैं, तो इस जाने माने रेस्टोरेंट का नाम तो आपने ज़रूर सुना ही होगा, KFC। पर क्या आपको इसे स्थापित करने वाले शक्स की कहानी पता है? चलिए जानते हैं।  

5 साल की उम्र में कोलोनेल सैंडर्स के पिता की मृत्यु हो गई। 16 साल की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और 4 नौकरियाँ बदलने के बाद 18 साल की उम्र में उन्होंने शादी कर ली। 20 साल की उम्र में उनकी पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया और उनके बच्चों को अपने साथ ले गई। वह एक छोटे से कैफे में रसोइया की नौकरी करने लगे और अपनी पत्नी के घर लौटने का बेसबरी से इंतज़ार करते रहे। 65 वर्ष में, सैंडर्स डिप्रेशन (depression) में चले गए और अपनी असफलता का जब उन्हें अहसास हुआ तो उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला लिया। 

लेकिन उनके हालात धीरे धीरे बदलने शुरू हुए, और उनका एक छोटा सा रेस्टोरेंट बिज़नेस कामियाब होने लगा। साल 1963 में KFC के 600 आउटलेट्स स्तापित हुए और सांडर्स एक मशहूर आदमी बन गए। पर इतने पैसे कमाने के बाद भी वह खुश नहीं थे। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू (interview) में बताया कि कैसे वो ज़िन्दगी में संतुष्ट नहीं थे, और अपने जीवन में किए बुरे कामों का उन्हें बहुत पछतावा था।

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पैसे हमारी संतुष्टि नहीं खरीद सकते। 

कुछ लोग ज़िन्दगी में बहुत जल्द तरक्की पाते हैं, और कुछ बहुत संघर्ष के बाद। पर यहाँ बात सफलता की नहीं है, बात है संतुष्टि की। चाहे हम कितने भी पैसे क्यों न कमा लें, इसका यह मतलब नहीं है कि हम ज़िन्दगी में खुश और संतुष्ट रहेंगे। सैंडर्स ने अपने इंटरव्यू में बताया, कि कैसे उन्होंने अपने पापों का प्रायश्चित किया और यीशु के साथ अपने रिश्ते को ठीक किया, जिसके बाद उन्हें वह शान्ति मिली जो उनकी कामयाबी उन्हें कभी नहीं दे पायी। 

हम सभी का सफलता तक पहुँचने का रास्ता बहुत अलग होता है, और इस रास्तें में ऐसे बहुत से मोड़ आते हैं, जब हम निराश होकर हिम्मत हार जाते है। लेकिन यीशु आपकी इन तकलीफों को समझता है। वह न सिर्फ आपको आपके मुकाम तक पहुँचाने में मदद करता है, बल्कि आपके ह्रदय को शान्ति और प्रेम से भर देता है। 

कर्नल सैंडर्स की कहानी सिर्फ उनकी रेस्टोरेंट की तरक्की की नहीं है, बल्कि उनकी ज़िन्दगी से हमें यह सीख मिलती है, कि सच्ची ख़ुशी और संतुंष्टि सिर्फ प्रभु यीशु मसीह ही हमें दे सकता है। अगर आप ज़िन्दगी के एक ऐसे पड़ाव पर हैं, जहाँ आप भी इन परेशानियों से झूझ रहे हैं, तो हमसे बात करें।

बाइबिल में प्रभु यीशु मसीह हमें ये बताते हैं कि मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे।

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