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पॉजिटिव थिंकिंग की शक्ति: सफलता कैसे मिलेगी | Positive Thinking |

पॉजिटिव थिंकिंग की शक्ति: सफलता कैसे मिलेगी | Positive Thinking |

जीवन

पॉजिटिव थिंकिंग की शक्ति: सफलता कैसे मिलेगी | Positive Thinking |

पॉजिटिव थिंकिंग या सकारात्मक सोच में बहुत शक्ति होती है। सकारात्मक सोच इंसान को सफलता की ऊंचाई पर ले जाती है, वही नकारात्मक सोच इंसान का आत्मविश्वास कमजोर करती है। हमारे विचार ही हैं, जो हमारे एक्शन हमारे कार्यों में परिवर्तित हो जाते हैं और हमारी पर्सनैलिटी का हिस्सा बन जाते हैं।

पॉजिटिव थिंकिंग या सकारात्मक सोच में बहुत शक्ति होती है।

सोच आपके एटीट्यूड या रवैया को बदल देती है। सकारात्मक सोच या पॉजिटिव थिंकिंग इंसान को सफलता की ऊंचाई पर ले जाती है वही नकारात्मक सोच इंसान का आत्मविश्वास कमजोर करती है। हमारे विचार ही हैं, जो हमारे एक्शन हमारे कार्यों में परिवर्तित हो जाते हैं और हमारी पर्सनैलिटी का हिस्सा बन जाते हैं।

आओ एक कहानी सुनते है:
बकरियों का झुंड हमेशा की तरह हरे चारे की तलाश में आसपास की छोटी पहाड़ियों में जाता था। उनमें से एक ने कहा, “चलो आज वह ऊपर वाली पहाड़ी पर जाएंगे वहां अच्छी घास होगी और पानी भी मीठा होगा”। सब बकरियां एकदम से उत्साहित हो गयी, और ऊपर की और चढ़ने लगी। कुछ देर बाद थकान हो रही है, पांव फिसल रहा है, “मुश्किल हो रही है” यह कहकर बकरियों ने हार मानना शुरू किया। उनमें से केवल एक ही थी जो आगे बढ़े जा रही थी और ऊपर पहुंच गई। कैसे? दोस्तों वह बकरी “बहरी थी!”

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पॉजिटिव थिंकिंग के कुछ लाभ:

आप बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करते हैं।
आप से ज्यादा लोग मित्रता रखेंगे।
आप बेहतर निर्णय ले पाएंगे।
पर मित्रों क्या यह काफी है इस जीवन के लिए?

पॉजिटिव थिंकिंग या सकारात्मक सोच का मतलब यह नहीं कि अगर आप अच्छा सोचेंगे तो हमेशा अच्छा ही होगा।

एक दिन प्रभु यीशु मसीह के चेले नाव में समुंदर के उस पार जा रहे थे। कुछ समय बाद जब नाव पानी के बीच में पहुंच गई तो तूफानी लहरें उठने लगी और नाव डगमगाने लगी तब यीशु मसीह पानी पर चलकर नाव की ओर जाने लगे। अंधेरा था तो चेले घबरा गए पर यह सुन तुरंत उन्होंने उनसे बातें की और कहा “ढांढस बांधो मैं हूँ। डरो मत” उनमें से पतरस नाव से निकलकर यीशु के पास जाते हुए पानी पर चलने लगा पर जैसे ही उसने अपनी नजर यीशु से हटाकर तूफानी हवाओं पर लगाई वह डूबने लगा। यीशु ने तुरंत हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया और उससे कहा “अल्प-विश्वासी, तूने क्यों संदेह किया?”

हम यह कह सकते हैं की पतरस ने पॉजिटिव थिंकिंग या सकारात्मक सोच दिखायी पर फिर भी वह अपने कार्य में असफल रहा। वह इसलिए कि सकारात्मक सोच के साथ विश्वास भी जरूरी था। विश्वास उस व्यक्ति पर जो आपका कार्य सफल करने का सामर्थ्य रखता हो। सोच के साथ विश्वास भी होना चाहिए। एक साथी भी होना चाहिए।प्रोत्साहित करनेवाले वाले मां बाप, परिवार, मित्र या फिर सबसे बड़ा परमेश्वर!

अच्छी सोच + विश्वास + साथी = सफलता।

अगर आज आपसे कोई व्यक्ति कहे की “जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ, उन्हें मैं जानता हूँ, वह हानि कि नहीं वरण कुशल की है और अंत में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा” तो क्या आप उस व्यक्ति से मिलना नहीं चाहेंगे? मैं समझती हूँ ज़रूर चाहेंगे!

बाइबिल के वचन के अनुसार परमेश्वर हमें उत्तम आशीष देना चाहता है।
यीशु मसीह ने अपनी जीवन शैली में अनेक चमत्कार कर अपने सामर्थ को दर्शाया। वह खुद परमेश्वर है इसलिए उनके लिए कोई भी काम असंभव नहीं।

वह हारे हुए को जिताने वाला परमेश्वर है!

वह गिरे हुए को उठाने वाला परमेश्वर है!

वह बीमारों को चंगा करने वाला परमेश्वर है!

वह कमजोर को बलवान करने वाला परमेश्वर है!

जितनो ने भी उसे ग्रहण किया उसने उन्हें परमेश्वर की सनातन होने का अधिकार दिया। पाप इंसान को कमजोर कर देता है, तो सच्चा पॉवर सिर्फ सोच में नहीं सच्चा पॉवर परमेश्वर से पापों की शमा मिलने में है। चलिए हमारे साथ इस नयी मंज़िल पे।

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