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मेरा पहला प्यार – मैंने उससे क्या सीखा?

मेरा पहला प्यार - मैंने उससे क्या सीखा?

प्यार

मेरा पहला प्यार – मैंने उससे क्या सीखा?

हम सभी को अपना पहला प्यार तो याद ही होगा। कई लोग बड़े ही खुशनसीब होते हैं जिन्हें अपने पहले प्यार के साथ पूरी ज़िंदगी बिताने का मौक़ा मिलता है और कुछ लोग अपने पहले प्यार से कुछ सीख लेकर आगे बढ़ जाते हैं। मैं आपको बताता हूँ कि मैंने क्या सिखा है अपने पहले प्यार से।

मेरा पहला प्यार

मैं बारवी कक्षा में था, और वो मेरे स्कूल की सड़क पार कालेज में पढ़ती थी। हम फ़ेसबुक पर बात किया करते थे, पर फिर एक दूसरे को चाहने लगे। हमें एक दूसरे की हर चीज़ प्यारी लगने लगी, ऐसी भी चीज़े जो औरों को आकर्षक ना लगें। हम एक दूसरे के साथ और समय बिताने लगे, और जैसे हर प्रेम कहानी की शुरूवात में सब कुछ फ़िल्मो की तरह लगता है, हीरो और हेरोयिन की प्रेम कहानी बिल्कुल ख़ुशी से बीतती हैं, हमारे साथ भी कुछ वैसे ही हुआ। पर जैसे असल ज़िंदगी में होता है, वो समय ज़्यादा देर तक नहीं ठहरा। हर रोज़ की मुश्किलें और हमारे बीच की मतभेद सतह पर आने लगी, और हमें एक दूसरे का साथ दिन बर दिन कम पसंद आने लगा। अंत में हमे वो रिश्ता तोड़ना पड़ा।

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मैं अपने पहले प्यार को भूल नहीं पा रहा था 

महीने बीत गए थे, पर मेरे दिमाग़ से उसका चहरा हट नही रहा था। एक टूटे दिल को इकट्टा करके फिर से नया जैसा बनाने में काफ़ी समय लग जाता है।

पर मैने अपने पहले प्यार से बहुत कुछ सीखा है।

ऐसी कई परीक्षाए हैं जिनका आपको प्यार में सामना करना पढ़ता है, और बहुत ऐसी भी चीज़े हैं जिनकी आपको पहले से आदत ना हो। पहले आप सिर्फ़ अपने बारे में सोच के रोज़ फ़ैसले लेते थे, पर फिर आप अपने जोड़ीदार को ख़याल में रख के वो सभ फ़ैसले लेने लग जाते हैं।

मैंने अपना महत्व सीखा:

एक रिश्ते में काफ़ी आसान है अपने आप को इस तरह भूल जाना कि आप खुद का ख़याल ही ना रखते हो। बड़ी बार आप अपने जोड़ीदार पर इतना फोकस रखते हो कि आप भूल सकते हो कि आप भी ज़रूरी हो, और इस सब में वो इंसान जिनसे उनको प्यार हुआ था वो ही गुम हो जा सकता है।

मैंने अपने दोस्तों और परिवार का महत्व सीखा:

आप कई बार इतना समय और प्रयास अपने रिश्ते पर बिता देते हैं कि आप अपने प्रियजनों के बारे में भी भूल सकते हैं और उनके सुख और संकट में उनका साथ निभा नही पाते हैं।

मैंने यीशु मसीह का महत्व सीखा:

मेरे सारे बुरे दिनों में परमेश्वर फिर भी मेरे साथ हैं और मेरे से प्रेम करते हैं। जब मेरा रिश्ता टूट गया था और मेरे दिल और दिमाग़ में कई किस्म के दुःख-दायक खयाल आते थे, यीशु का प्यार मेरे लिए उस समुद्र का किनारा था। 

तब से मैंने ऐसी और कई बातें सीखी हैं जिनकी मदद से मैं और अकाल और समझ से अपने रिश्ते को निभा सकता हूँ। 

अगर आप इस बारे में और जानना चाहते हैं तो आप इस जगह उस बारें में पढ़ सकते हैं। https://www.nayimanzil.com/love/डेटिंग-किसे-कहते-हैं/

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