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चाय पे चर्चा☕️| भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा!

भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा!
भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा!

जीवन

चाय पे चर्चा☕️| भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा!

आपने मुंबई में रहने वाले इस अजीबो गरीब इंसान की कहानी सुनी है क्या है? आज कल के समय में किसी अनजान इंसान के लिए इतनी भलाई कोई करता है क्या?

आजकल भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा!

आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा, आजकल तो भलाई का ज़माना हि नहीं रहा। पर हाली में एक मुंबई के रिक्शावाले भैया की खबर काफी चर्चा का विषय बनी, क्योंकि वह रोज़ अपने ग्राहकों के लिए सीट के पीछे फ्री बिस्किट के पैकेट, पानी की बोतल, और साथ ही साथ एक अख़बार भी रखते हैं। वह ऐसा इस लिए करते हैं, ताकि उनके ग्राहक एक आरामदायक सफर का आनंद उठा सके। उनके इस हाव-भाव ने सभी के दिलों को छू लिया है। हम में ऐसे कितने लोग हैं, जो इन सज्जन आदमी की तरह, बिना अपना मतलब देखे दूसरों की मदद करना पसंद करते हैं?

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किसी को प्यार और दया दिखाने के लिए यह ज़रूरी नहीं कि हमारे पास एक बड़ा बैंक बैलेंस हो।

बाइबिल बताती है कि हमारे अच्छे कर्म करने का उद्देश्य कभी पुण्य कमाना या दिखावा करना नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम होना चाहिए। परमेश्वर किसी भी आदमी का कर्ज़दार नहीं है, वह सबको उनके हिस्से की आशीष देने के काबिल है। कई बार हम दूसरो की आशीषों को देख निराश महसूस करते हैं, पर अपनी खुद की आशीषों को गिनना भूल जाते हैं।

अगर हम ज़िन्दगी को देखने का नज़रियाँ बदले, तो हम समझ पाएंगे कि सबसे बड़ी ख़ुशी खुद की ज़रूरतें पूरी करने में नहीं बल्कि दूसरों की सहायता और उनकी छोटी छोटी खुशियों का कारण बनने में है

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