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बाल शोषण | Child Abuse |

बाल शोषण | Child Abuse |

जीवन

बाल शोषण | Child Abuse |

बाल शोषण हमारे समाज की एक घिनौनी सच्चाई है और इन सभी का शिकार बनते हैं हमारे छोटे छोटे बच्चे। आख़िर बाल शोषण का ज़िम्मेदार कौन है? अगर हम इसे रोकना चाहते हैं तो हमें कुछ तो कदम उठाने पड़ेंगे। आइए साथ में मिलकर इस समस्या के बारे में जाने और इसका समाधान निकालें।

बाल शोषण का मतलब 

“World Health Organization (WHO) के अनुसार बाल दुर्व्यवहार/ बाल शोषण को “सभी तरह के शारीरिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार, यौन शोषण को हम शोषण के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। जिसका बच्चे के स्वास्थ्य, विकास या गरिमा को वास्तविक या संभावित नुकसान होता है।” इसका मतलब है कि हर तरह का ग़लत व्यवहार जो किसी भी बच्चे को मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से चोट पहुँचता है वो शोषण होता है। 

बाल शोषण के प्रकार:

  • उपेक्षा (Negligence): स्वास्थ्य, शिक्षा, कपड़े और खाना जैसी बुनियादी और रोज़मरा की जरूरतों को पूरा नहीं करना।
  • शारीरिक शोषण: मारना, हिलाना, जलाना और काटना शामिल हो सकता है। 
  • मनोवैज्ञानिक (Psychological) दुर्व्यवहार: गाली गलोच करना, ग़लत शब्दों का इस्तेमाल करना, अपमान करना और बच्चे को डराने वाले काम शामिल हैं। जिसकी वजह से बच्चों को psychological problems हो सकती हैं।
  • यौन शोषण: ग़लत तरह से हाथ लगाना, उन्हें molest करना, छोटे बच्चों और किशोरों को यौन गतिविधियों में शामिल करना, जिसे वे पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं, जिसके लिए वे सहमति देने में असमर्थ है। 
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ऐसी कई चीजें हैं जो बाल शोषण का कारण बन सकती हैं। इसके कारण अक्सर समझने बहुत मुश्किल होते हैं, और कोई अकेली वजह नहीं होती है।

सभी माता-पिता अपने बच्चे को एक सुरक्षित घर में प्यार और देखभाल करना चाहते हैं। पर तनाव, थकान, पैसों की कमी,  नौकरी की चिंता या माता-पिता के स्किल की कमी या बच्चे की देखभाल करने का दबाव की वजह भी दुर्व्यवहार का कारण बन सकती है। जब माता-पिता अपने बच्चे की देखभाल करना नहीं जानते, बच्चों को discipline करने के लिए पनिश्मेंट के तौर पर मारना, drugs, शराब या जुए की समस्याएँ जैसी problems भी बाल शोषण को बढ़ावा देती हैं।

इस समस्या से कैसे निपटें

  • बच्चों को इन सब समस्याओं से अवगत करवाना ज़रूरी है। 
  • बच्चों की बात और व्यवहार पर ध्यान दें। और अगर वो आपसे इस तरह की कोई भी शिकायत करें तो उनकी बात पर उसी समय ध्यान दें।
  • माता-पिता को सही parenting के बारे में सीखने की ज़रूरत है।
  • हम सभी की ज़िम्मेदारी बनती है कि हम बाल शोषण से जुड़े हुए किसी भी चिन्ह को नज़र अन्दाज़ ना करें। कड़े से कड़े कदम उठाएँ।
  • यौन शोषण जैसी समस्या में counsellor की मदद लें और ऐसी परिस्थिति में मदद ज़रूर माँगें।

बाइबिल हमें जो बताती है कि बच्चों का परमेश्वर के हृदय में एक विशेष स्थान है और जो कोई भी बच्चे को नुकसान पहुँचाता है वह परमेश्वर के क्रोध को अपने ऊपर आमंत्रित कर रहा है। जब यीशु के चेलों ने बच्चों को यीशु के पास आने से रोकने की कोशिश की, तो उसने उन्हें डांटा और बच्चों का अपने पास बुलाया और कहा, “छोटे बच्चों को मेरे पास आने दो और उन्हें रोको मत, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का है” (मरकुस 10:14)।

बाइबिल के अनुसार बच्चे परमेश्वर की आशीष हैं और बाइबिल बाल शोषण (child abuse) के सख़्त ख़िलाफ़ है। और जो लोग बच्चों को बोझ की तरह समझते हैं और अपनी ज़िम्मेदारियाँ को सही तरीक़े से नहीं निभाते वो परमेश्वर की आशीष को खो देते हैं।

बाल शोषण एक भयानक तस्वीर पेश करता है। एक प्यार करने वाले स्वर्गीय पिता के दृष्टिकोण के बिना, यह आसानी से मायूसी की ओर ले जा सकता है। बाल शोषण इस बात का घिनौना संकेत है कि हम बुराई से गिरी हुई दुनिया में रहते हैं। यीशु, जो हमारी दुनिया में प्रवेश किया और दुनिया की सारी बुराइयों को अपने ऊपर ले लिया और उनसे जीत गया। सिर्फ यीशु ही इस दुनिया को बचा सकते हैं और सही रास्ता दिखा सकते हैं। 

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