यीशु मसीह कुएं के पास बैठते थे। उस वक्त एक स्त्री वहां पानी भरने आई जिसका जीवन ठीक नहीं था। इसलिए लोगों की नजर से बचने के लिए, दोपहर की धूप में आई थी। वह अपना जीवन पाप में बिता रही थी। पांच शादी के बाद भी उसके जीवन में सच्ची खुशी और प्रेम का अभाव था और इस वक्त भी, वह जिसके साथ रह रही थी वह उसका पति नहीं था।
यीशु जो मनुष्य के रूप में स्वयं परमेश्वर हैं उसकी सारी बातों को जानता थे। एक पापी को अगर कोई क्षमा कर दे तो उसके पापों का बोझ हट जाता है। वह स्वतंत्र महसूस करता है। ऐसा ही इस स्त्री के साथ हुआ; प्रभु यीशु मसीह ने उसे पापों की माफी देकर, जीवन की नई शुरुआत की। उसकी संसारिक प्यास के बदले उसे जीवन का जल दिया। क्षमा का दान पाकर उस स्त्री का जीवन परिवर्तित हो गया। केवल परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह ही पापों को क्षमा कर सकता है।
आपको, मुझे, हम सबको इस अनोखी क्षमा की जरूरत है। जो भी आपके घोर और गुप्त पाप हैं, वह परमेश्वर जानता है; उस स्त्री की तरह क्षमा कर सकता है। यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान होने से पापों की क्षमा पाने का रास्ता मिलता है।
हम किसी को माफ़ तभी कर सकते हैं जब हमने उस माफ़ी को अनुभव किया हो, जब हमारी गलती और गुनाहों की सजा के बदले हमें आज़ादी मिल जाए। जैसे यीशु मसीह हमें क्षमा करते हैं वैसे ही हमें भी उसी प्रेम भाव से अपने अपराधियों को क्षमा करना चाहिए।
“सबने गुनहगारों को नजरों से जब गिरा दिया
तूने मसीह मेहरबान अपने गले लगा लिया।”
तो आए इस क्षमा को पाकर, जीवन को शांति और आनंद से बिताए। फिर जब हम इस दान को स्वयं पा लेंगे तो दूसरों को भी माफ करने में परमेश्वर हमारी सहायता करेगा। चलिए हमारे साथ इस नयी मंज़िल पे।
