fbpx
हमसे जुड़ें

‘क्षमा’ ना कि ‘बदला’: जख्म भरने का रास्ता। क्षमा करना क्यों ज़रूरी है?

क्षमा ना की बदला: जख्म भरने का रास्ता। क्षमा करना क्यों ज़रूरी है?

प्यार

‘क्षमा’ ना कि ‘बदला’: जख्म भरने का रास्ता। क्षमा करना क्यों ज़रूरी है?

क्षमा क्यों करें? क्षमा कैसे करें? क्षमा करना क्यों ज़रूरी है? क्या ये कहना सही होगा कि “क्षमा करो-और जाओ भूल”? बाइबिल एक अनोखी क्षमा की सच्चाई बताती हैं। “सबने गुनहगारों को नजरों से जब गिरा दिया, तूने मसीह मेहरबान अपने गले लगा लिया।”

जैसे एक टूटे दिल को तसल्ली भाती है, एक जख्मी को मलहम चैन देता है, वैसे ही बदले की जगह क्षमा ही जिंदगी में जख्म भरने का रास्ता है।

हम सभी उस इंसान से बदला लेना चाहते हैं  जो हमारे साथ गलत करता है और हम उसके साथ हिसाब बराबर करना चाहते हैं।

क्षमा, चोट पहुंचाने वाले या अपराधी को माफ करने का कार्य है।

अगर हम बदले की भावना से उभर नहीं पाते तो हमारी चेतना क्रोध, नफरत और प्रतिशोध से खराब हो जाती हैं।

अक्टूबर 4, 2008 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट का मैच हुआ था। हौग की बॉल पर हमारे चैंपियन सचिन क्लीन बोल्ड हो गए। हौग बड़े  खुश हुए यह तो अच्छी बात थी लेकिन अगले दिन वह सचिन के पास उनकी वह विकेट की तस्वीर लेकर पहुंचे और कहा कि वह उसे साइन करें। सचिन जो सज्जन माने जाते हैं, उन्होंने साइन किया लेकिन उसके नीचे लिख दिया “यह कभी वापस नहीं होगा हौग!”

ब्रैड हौग वापस कभी भी सचिन का विकेट नहीं ले पाए। यहाँ तक कि वह सचिन के पहले ही रिटायर्ड हो गए। यह था एक जेंटलमैन का बदला लेने का तरीका।


क्षमा क्यों करें? बाइबिल की दृष्टि से:

  • कोई सिद्ध नहीं है। गलतियां सबसे होती है; मुझ से भी आप से भी इसलिए हम सब को क्षमा की जरूरत हैं।
  • आनंद और शांति के लिए: शांत मन जीवन देता है। माफी देने वाला बदले की नकारात्मक भावना से मुक्त हो जाता है और आगे बढ़ता है।

क्षमा कैसे करें? बाइबिल की दृष्टि से:

बाइबिल माफ़ी देने का मतलब बताती है कि सारी ग़लतियाँ और पाप को माफ़ करके उसे पूरी तरह से मिटा दो और फिर उसका स्मरण ना करो। हमें भी दूसरों को उसी तरह से माफ़ करना है और उनसे प्यार करना है।

  • उचित निर्णय लें। शिकायत मामूली कारण की वजह से हो, तो माफ़ करके सह ले।
  • जब आप किसी को क्षमा करते हो तो उसके अपराध को फिर से स्मरण ना करें।

बाइबिल एक अनोखी सच्चाई बताती हैं:

यीशु मसीह कुएं के पास बैठते थे। उस वक्त एक स्त्री वहां पानी भरने आई जिसका जीवन ठीक नहीं था। इसलिए लोगों की नजर से बचने के लिए, दोपहर की धूप में आई थी। वह अपना जीवन पाप में बिता रही थी। पांच शादी के बाद भी उसके जीवन में सच्ची खुशी और प्रेम का अभाव था और इस वक्त भी, वह जिसके साथ रह रही थी वह उसका पति नहीं था।

यीशु जो मनुष्य के रूप में स्वयं परमेश्वर हैं उसकी सारी बातों को जानता थे। एक पापी को अगर कोई क्षमा कर दे तो उसके पापों का बोझ हट जाता है। वह स्वतंत्र महसूस करता है। ऐसा ही इस स्त्री के साथ हुआ; प्रभु यीशु मसीह ने उसे पापों की माफी देकर, जीवन की नई शुरुआत की। उसकी संसारिक प्यास के बदले उसे जीवन का जल दिया। क्षमा का दान पाकर उस स्त्री का जीवन परिवर्तित हो गया। केवल परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह ही पापों को क्षमा कर सकता है। 

आपको, मुझे, हम सबको इस अनोखी क्षमा की जरूरत है। जो भी आपके घोर और गुप्त पाप हैं, वह परमेश्वर जानता है; उस स्त्री की तरह क्षमा कर सकता है। यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान होने से पापों की क्षमा पाने का रास्ता मिलता है।

हम किसी को माफ़ तभी कर सकते हैं जब हमने उस माफ़ी को अनुभव किया हो, जब हमारी गलती और गुनाहों की सजा के बदले हमें आज़ादी मिल जाए। जैसे यीशु मसीह हमें क्षमा करते हैं वैसे ही हमें भी उसी प्रेम भाव से अपने अपराधियों को क्षमा करना चाहिए।

“सबने गुनहगारों को नजरों से जब गिरा दिया
तूने मसीह मेहरबान अपने गले लगा लिया।”

तो आए इस क्षमा को पाकर, जीवन को शांति और आनंद से बिताए। फिर जब हम इस दान को स्वयं पा लेंगे तो दूसरों को भी माफ करने में परमेश्वर हमारी सहायता करेगा। चलिए हमारे साथ इस नयी मंज़िल पे।

To Top