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आज खुश तो बहुत होंगे तुम, पर क्या आनंदित हो?

आज खुश तो बोहोत होंगे तुम, पर क्या आनंदित हो?
आज खुश तो बोहोत होंगे तुम, पर क्या आनंदित हो?

जीवन

आज खुश तो बहुत होंगे तुम, पर क्या आनंदित हो?

ख़ुशी और आनंद, यह दोनों ऐसी भावनाये है जो सुनने में भले ही एक जैसी लगे, पर वास्तविकता में एक दुसरे से बोहोत अलग है। आईये, इन दोनों भावनाओ को मिलकर समझते है।

बचपन की कुछ ऐसी ख़ास यादें, जो ज़िन्दगी की एक बड़ी सीख दे गयी।

मुझे याद है, जब मैं छोटी थी तो हम हर गर्मी की छुट्टियों में मेरे पापा के गांव जाया करते थे। भाई-बहनों की नोक झोंक, खूब सारा लज़ीज़ खाना और रात भर कभी न ख़त्म होने वाली बातें, कुछ ऐसा होता था वहां का माहौल। जैसे ही सुबह होती, गांव के सभी बच्चे मिलकर टायरों के साथ जो खेलना शुरू करते, रुकने का नाम ही नहीं लेते थे। चाहे धूप आये या बाढ़, वह हर क्षण का पूरा आनंद उठाते थे। ना ही उनके पास कोई महेंगे वीडियो गेम्स थे, और न ही ज़िन्दगी के वह आराम जो शायद आज आपके और मेरे पास है। वह सिर्फ खुश नहीं, वह आनंदित थे।

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कोई भी मुश्किल इतनी बड़ी नहीं होती जिससे परमेश्वर हमें छुटकारा न दिला पाए।

कई बार हम ख़ुशी और आनंद के बीच का फर्क समझने में नाकामियाब हो जाते हैं। ख़ुशी एक ऐसी भावना है, जो हमारे काबू में नहीं होती, वह हमारी परिस्थितियों पर निर्धारित होती है। लेकिन आनंद हमारे हालातों से परे है। यह किसी के कहने पर महसूस नहीं किया जा सकता, बल्कि यह खुद लिया हुआ एक निश्चित फैसला होता है।

पर एक राज़ की बात है, हम इस आनंद को खुद के बल पर कभी प्राप्त नहीं कर सकते। सिर्फ यीशु  ही हमें यह आनंद दे सकता है। चाहे हालत कितने भी बिगड़ क्यों न जाये, या हमें कितनी भी चुनौतियों का सामना क्यों न करना पड़े, यीशु का यह आनंद हमेशा हमारी ढाल बनकर, हमें संभाले रहता है।
तो क्या आप तैयार हैं, इस आनंद को पाने के लिए? हमसे ज़रूर बात करें।

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